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चोथी हाजरी
संमत १८३२ सा रै वर्ष स्वामी मरजादा बांधी, तिण में कह्यो-सर्व साधसाधवी एक री आज्ञा मांहे चालणों, एहवी रीत बांधी छै। कोइ टोळा मा सूं फाड़ा तोड़ो करनै एक दोय आदि नीकळे, घणी धुरताई करै, बगुळध्यानी हुवै, त्यांनै साध सरधणा नहीं, च्यार तीर्थ माहै गिणवा नहीं। यांने चतुरविध संघ ना निंदक जांणवा। एहवा नै वांदे पूजे तिके पिण आज्ञा बारै छै एहवो बतीसा रै वर्ष कह्यो।
__ इमहीज गुणसठा रै वर्ष मर्यादा बान्धी तिण में कह्यो-उसभ कर्म जोग सूं टोळा बारै नीसरै तिणनै साध सरधणो नहीं। कदा कोई फेर दिख्या ले आगला साधां नै असाध सरधायवा नै तो पिण उणने साध सरधणो नहीं। उणने छेरवियां तो उ आळ दे काढे तिणरी एक बात मानणी नहीं। उण तो अनन्त संसार आरै कीधो दीसै छै। कदाच कर्म धको दीधां टोळा सूं टकै तो उणरै टोळा रां साध साधव्यां रा अंसमात्र हुँता अणहुंता अवर्णवाद बोलण रा अनंत सिद्धां री नै पांचोई पदां री आण छै पांच पदां री साख सूं पचखांण छै। किण ही साध साधवियां री संका प. ज्यूं बोलण रा पचखांण छै। कदा उ विटळ होय सूंस भांगे तो हळुकर्मी न्यायवादी तो न मांने उण सरीषो विटळ कोई मांने तो लेखा में नहीं। किण नै कर्म धको देवै ते टोळा सूं न्यारो पड़े तथा न्यारो करै अथवा आप ही टोळा सूं न्यारो हुवै तो इण सरधा रा भाई बाई हुवै तिहां रहिणो नहीं। एक बाई भाई हुवै तिहां पिण रहिणों नहीं। वाटे वहतां एक रात, कारण पड़िया रहै तो पांचूइ विगै सूंखड़ी खावा रा त्याग छै। अनन्त सिद्धां री साख कर छै। बले टोळा मांहे उपगरण करै, पांना परत लिखे, टोळा मांहे थका परत पांना पात्रादिक सर्व वस्तु जा. ते सर्व साथे ले जावा रा त्याग छै-एक बोदो चोलपटो. महपती एक बोदी पिछैवड़ी खंडिया उपरंत बोदा रजूहरणा उपरंत साथे ले जावणा नहीं। उपगरण सर्व टोळा री नेश्राय साधां रा छै। और अंसमात्र साथे ले जावण रा पचखांण छै। अनंता सिद्ध री साख करीनै छै, ए सर्व गुणसठा रा वर्ष रा लिखत में कह्यो छै।
तथा पचासा रा लिखत में पिण एहवो कह्यो-"टोळां सूं न्यारो पड़े तो किण ही साध साधवियां रा हुंता अणहुंता अवगुण तथा लूँचणो काढ़ण रा त्याग छै। रहिसै-रहिसै लोकां रे संका घालीनै आसता उतारण रा त्याग छै। किण ही साध आर्यों में दोष देखे तो ततकाळ धणी ने कहणो अथवा गुरां ने कहिणो पिण औरां नै न कहिणो। पिण घणा दिन आडा घालनै दोष बतावै तो प्राछित रो धणी उ ही छै।" ।
तथा बावनां रा लिखत में पिण इम कह्यो-किण ही साध आ· मांहे दोष देखे तो ततकाळ धणी ने कहिणो के गुरां ने कहिणो पिण औरां ने कहिणो नहीं। तथा
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तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था