Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान २ उद्देशक ३
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को भी बताने वाले हैं। सभी जीवों को विग्रह गति में एक शरीर और विग्रह गति के अलावा समय में दो शरीरों की प्राप्ति होने से सामान्य रूप से देव दो प्रकार के कहे हैं।
॥ द्वितीय स्थानक का द्वितीय उद्देशक समाप्त ।
द्वितीय स्थान का तीसरा उद्देशक दुविहे सद्दे पण्णत्ते तंजहा - भासासद्दे चेव, णोभासासहे चेव। भासासहे दुविहे पण्णत्ते तंजहा - अक्खरसंबद्धे चेव, णोअक्खरसंबद्धे चेव। णोभासासहे दुविहे पण्णत्ते तंजहा - आउज्जसहे चेव, णोआउज्जसद्दे चेव। आउज्जसहे दुविहे पण्णत्ते तंजहा - तते चेव, वितते चेव । तते दुविहे पण्णत्ते तंजहा - घणे चेव, झुसिरे घेव। एवं वितते वि। णोआउंग्जसद्दे दुविहे पण्णत्ते तंजहा - भूसणसद्दे चेव, णोभूसणसद्दे चेव। णोभूसणसहे दुविहे पण्णत्ते तंजहा - तालसद्दे चेव, लत्तियासद्दे चेव। दोहिं ठाणेहिं सहुप्पाए सिया तंजर - साहण्णताण चेव पोग्गलाणं सहुप्पाए सिया, .भिजंताण चेव पोग्गलाणं सहप्पाए सिया॥३०॥ ____ कठिन शब्दार्थ - सहे - शब्द, भासासहे - भाषा शब्द, णो भासासद्दे - नो भाषा शब्द, अक्खरसंबद्ध - अक्षर सम्बद्ध-अक्षर सहित गो अक्खर संबद्धे - नो अक्षरसम्बद्ध-अक्षर रहित, आउज्जसद्दे - आतोदय शब्द, णो आउज्जसहे - नो आतोदय शब्द, तते - तत, वितते - वितत, घणेघन, मुसिरे - शुषिरं, भूसणसहे - भूषण शब्द, तालसहे - ताल. शब्द-ताली बजाने का शब्द, लत्तियासहे- लतिका शब्द, सहप्पाए - शब्द की उत्पत्ति, साहण्णंताणं - पीटने से, भिजंताण - तोड़ने से। . भावार्थ - भगवान् ने शब्द दो प्रकार का फरमाया है यथा - भाषा शब्द यानी जीव शब्द और नोभाषाशब्द यानी अजीवशब्द। भाषा शब्द दो प्रकार का कहा गया है यथा - अक्षरसम्बद्ध यानी अक्षरसहित और नोअक्षरसम्बद्ध यानी अक्षर रहित । नोभाषाशब्द दो प्रकार का कहा गया है यथा - आतोदय शब्द यानी मृदङ्ग आदि का शब्द और नोआतोदय शब्द यानी यांस आदि से होने वाला शब्द। आतोदय शब्द दो प्रकार का कहा गया है यथा - तत और वितत। तंत शब्द दो प्रकार का कहा गया है यथा - घन और शुषिर। इसी प्रकार वितत शब्द के भी घन और शुषिर ये दो भेद हैं।
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