________________
श्री स्थानांग सूत्र
नहीं होता है । कोई एक यान बैलादि से युक्त नहीं होता है किन्तु युक्त परिणत होता है । कोई एक यान अयुक्त है और अयुक्त परिणत हैं । इसी तरह चार पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है और युक्त परिणत भी है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है किन्तु युक्त परिणत नहीं है । कोई एक पुरुष धनादि से अयुक्त है किन्तु युक्त परिणत है । कोई एक पुरुष धनादि से अयुक्त है और अयुक्त परिणत है । चार यान कहे गये हैं यथा कोई एक यान बैल आदि से युक्त है और युक्तरूप यानी सुन्दर रूप वाला है । कोई एक यान बैलादि से युक्त है किन्तु रूप युक्त नहीं है । कोई एक यान बैलादि .. से युक्त नहीं है किन्तु रूप युक्त है । कोई एक यान बैल आदि से युक्त नहीं है और रूप युक्त भी नहीं है। इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा कोई एक पुरुष धनादि से युक्त हैं और रूप आदि से युक्त है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है किन्तु रूप युक्त नहीं है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त नहीं है किन्तु रूपादि से युक्त है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त नहीं है और रूपादि से भी युक्त नहीं है। चार यान कहे गये हैं यथा कोई एक यान बैल आदि से युक्त है और युक्त शोभा वाला है यानी बैल आदि जोड़ने से अच्छा लगता है । कोई एक यान बैल आदि से युक्त है किन्तु शोभायुक्त नहीं है । कोई एक यान बैलादि से युक्त नहीं है किन्तु शोभायुक्त है । कोई एक यान बैलादि से भी युक्त नहीं है। और शोभायुक्त भी नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष धनादि से एवं ज्ञानादि से युक्त है और उचित शोभा युक्त है कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है किन्तु शोभा युक्त नहीं है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त नहीं है किन्तु शोभायुक्त है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त नहीं है और शोभायुक्त भी नहीं है । चार प्रकार के युग्य यानी घोड़ा आदि सवारी अथवा पालखी आदि सवारी कहे गये हैं यथा कोई एक युग्य चढने की सामग्री पलाण आदि से युक्त होता है और वेग आदि से भी युक्त होता है । कोई एक युग्य पलाण आदि सामग्री से युक्त होता है किन्तु वेगादि से युक्त नहीं होता है । कोई एक युग्य पलाण आदि सामग्री से युक्त नहीं होता है किन्तु वेगादि से युक्त होता है । कोई एक युग्य पलाण आदि सामग्री से युक्त नहीं है और वेगादि से भी युक्त नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है और उचित अनुष्ठान से भी युक्त है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है किन्तु उचित अनुष्ठान से युक्त नहीं है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त नहीं है किन्तु उचित अनुष्ठान से युक्त है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त नहीं है और उचित अनुष्ठान आदि से भी युक्त नहीं है । इस तरह जिस प्रकार यान के चार आलापक यानी भांगे कहे गये हैं उसी प्रकार युग्य के भी चार भांगे कह देने चाहिएं और उसी प्रकार दान्तिक में पुरुष का कथन कर देना चाहिए यावत् शोभा तक इसी तरह कह देना चाहिए ।
।
चार प्रकार के सारथि कहे गये हैं यथा कोई एक सारथि बैलादि को गाड़ी में जोतता है किन्तु उन्हें छोड़ता नहीं है । कोई एक सारथि बैलादि को छोड़ता है किन्तु उन्हें गाड़ी में जोतता नहीं है ।
३६२
Jain Education International
-
-
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org