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स्थान ४ उद्देशक ४
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३. कोई पुरुष उक्त कार्यों के विषय में कहते हैं और कार्य भी करते हैं। ४. कोई पुरुष उक्त कार्यों के लिए.न डींग हांकते हैं और न कुछ करते ही हैं। अन्य प्रकार से मेघ के चार भेद१. कोई मेघ क्षेत्र में बरसता है, अक्षेत्र में नहीं बरसता है। २. कोई मेघ क्षेत्र में नहीं बरसता, अक्षेत्र में बरसता है। ३. कोई मेघ क्षेत्र और अक्षेत्र दोनों में बरसता है। ४. कोई मेघ क्षेत्र और अक्षेत्र दोनों में ही नहीं बरसता। मेघ की उपमा से चार दानी पुरुष - १. कोई पुरुष पात्र को दान देते हैं, पर कुपात्र को नहीं देते। २. कोई पुरुष पात्र को तो दान नहीं देते, पर कुपात्र को देते हैं। ३. कोई पुरुष पात्र और कुपात्र र्दोनों को दान देते हैं। ४. कोई पुरुष पात्र और कुपात्र दोनों को ही दान नहीं देते हैं।
- चार प्रकार के मेघ चत्तारि मेहा पण्णत्ता तंजहा - पुक्खलसंवट्टए, पज्जुण्णे, जीमूए, जिम्हे । पुक्खलसंवट्टए णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससहस्साई भावेइ । पज्जुण्णे णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससयाई भावेइ । जीमूए णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वासाइं भावेइ। जिम्हे णं महामेहे बहुहिं वासेहिं एगं वासं भावेइ वा ण वा भावेइ॥१८८॥ __ कठिन शब्दार्थ - पुक्खल संवट्टे - पुष्कल संवर्तक, पज्जुण्णे - प्रद्युम्न, जीमूए - जीमूत, जिम्हेजिह्म, भावेड़- सरस बनाता है, महामेहे - महामेघ।
. भावार्थ - चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं । यथा - पुष्कल संवर्तक, प्रद्युम्न, जीमूत और जिह्म । पुष्कल संवर्तक महामेघ एक बार बरसने से दस हजार वर्षों तक पृथ्वी को सरस बना देता है । प्रद्युम्न महामेघ एक बार बरसने से एक हजार वर्ष तक पृथ्वी को सरस बना देता है । जीमूत महामेघ एक बार बरसने से दस वर्ष तक पृथ्वी को सरस बना देता है । जिह्म महामेघ बहुत बार बरसने से एक वर्ष तक पृथ्वी को सरस बनाता है अथवा नहीं भी बनाता है ।
विवेचन - मेघ के अन्य चार प्रकार - १. पुष्कल संवर्तक २. प्रद्युम्न ३. जीमूत ४. जिह्न। १. पुष्कल संवर्तक - जो एक बार बरस कर दस हजार वर्ष के लिए पृथ्वी को स्निग्ध कर
देता है।
२. प्रद्युम्न - जो एक बार बरस कर एक हजार वर्ष के लिए पृथ्वी को उपजाऊ बना देता है।
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