Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 428
________________ स्थान ४ उद्देशक ४ ४११ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 णिम्मवइत्ता वि, एगे णो जणइत्ता णो णिम्मवइत्ता । एवामेव चत्तारि अम्मापियरो पण्णत्ता तंजहा - जणइत्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता । चत्तारि मेहा पण्णत्ता तंजहा - देसवासी णाममेगे णो सव्ववासी, सव्ववासी णाममेगे णो देसवासी, एगे देसवासी वि सव्ववासी वि, एगे णो देसवासी णो सव्ववासी । एवामेव चत्तारि रायाणो पण्णत्ता तंजहा - देसाहिवई णाममेगे णो सव्वाहिवई, सव्वाहिवई णाममेगे णो देसाहिवई, एगे देसाहिवई वि सव्वाहिवई वि । एगे णो देसाहिवई णो सव्वाहिवई ॥१८७॥ ____ कठिन शब्दार्थ - मेहा - मेघ, गजित्ता - गर्जिता-गर्जना करने वाला, वासित्ता - वर्षिता-बरसने वाला, विजुयाइत्ता - विधुयिता-बिजली करने वाला, कालवासी - कालवर्षी-काल में बरसने वाला, अकालवासी- अकालवर्षी-अकाल में बरसने वाला, खेत्तवासी - क्षेत्रवर्षी-क्षेत्र में बरसने वाला, अखेत्तवासी - अक्षेत्र वर्षी-अक्षेत्र में बरसने वाला, जणइत्ता - उत्पन्न करने वाला, णिम्मवइत्ता - निपजाने वाला, देसाहिवई - देशाधिपति-एक देश का स्वामी, सव्वाहिवई - सर्वाधिपति-सर्व देश का अधिपति। . भावार्थ - चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं यथा - कोई एक मेघ ग़र्जता है किन्तु बरसता नहीं है । कोई एक मेघ बरसता है किन्तु गर्जता नहीं है । कोई एक मेघ गर्जता भी है और बरसता भी है । कोई एक मेघ न तो गर्जता है और न बरसता है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष कहता है कि 'मैं अमुक कार्य करूँगा' किन्तु वह कार्य करता नहीं है । एक पुरुष कहता नहीं है किन्तु करता है । एक पुरुष कहता भी है और करता भी है । एक न तो कहता है और न करता है । चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं यथा - कोई एक मेघ गर्जता है किन्तु बिजली नहीं करता है। कोई एक मेघ बिजली करता है किन्तु गर्जता नहीं है । कोई एक मेघ गर्जता भी है और बिजली भी करता है । कोई एक मेघ न तो गर्जता है और न बिजली करता है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष कहता है किन्तु आडम्बर नहीं करता है । इस प्रकार चौभङ्गी कह देनी चाहिए । चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं यथा - कोई एक मेघ बरसता है किन्तु बिजली नहीं करता है। कोई एक मेघ बिजली करता है किन्तु बरसता नहीं है । कोई एक मेघ बरसता भी है और बिजली भी करता है । कोई एक मेघ न तो बरसता है और न बिजली करता है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष कार्य करता है किन्तु आडम्बर नहीं करता है । इस प्रकार चौभङ्गी कह देनी चाहिए । चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं यथा - कोई एक मेघ यथासमय बरसता है किन्तु अकाल में नहीं बरसता है । कोई एक मेघ अकाल में बरसता है किन्तु समय पर नहीं बरसता है। कोई एक मेघ समय पर भी बरसता है और अकाल में भी बरसता है । कोई एक मेघ न तो काल में बरसता है और न अकाल में बरसता है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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