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स्थान ४ उद्देशक ३
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कोई एक सारथि बैल आदि को गाड़ी में जोतता भी है और उन्हें छोड़ता भी है । कोई एक सारथि बैलादि को न तो गाड़ी में जोतता है.और न उन्हें छोड़ता है किन्तु उन्हें हांकता है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष एवं साधु कहे गये हैं यथा - कोई एक साधु दूसरे साधुओं को संयम में प्रवृत्त करता है किन्तु अनुचित कार्य से उन्हें रोकता नहीं है । कोई एक साधु दूसरों को अनुचित कार्य से रोकता हैं किन्तु उन्हें संयम मार्ग में प्रवृत्त नहीं करता है । कोई एक साधु दूसरे साधुओं को संयम में प्रवृत्त भी करता है और उन्हें अनुचित कार्य से रोकता भी है । कोई एक साधु दूसरे साधुओं को संयम में प्रवृत्त भी नहीं करता है और उन्हें अनुचित कार्य से रोकता भी नहीं है । चार प्रकार के घोड़े कहे गये हैं यथा - कोई एक घोड़ा पलाण आदि से युक्त है और वेग आदि से भी युक्त है । कोई एक घोड़ा पलाण आदि से युक्त है किन्तु वेग आदि से युक्त नहीं है । कोई एक घोड़ा पलाण आदि से युक्त नहीं है किन्तु वेग आदि से युक्त है । कोई एक घोड़ा पलाण आदि से युक्त नहीं है और वेग आदि से भी युक्त नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है और उचित अनुष्ठान आदि से भी युक्त है । कोई एक पुरुष धनादि से युक्त है किन्तु उचित अनुष्ठान आदि से युक्त नहीं है । कोई एक पुरुष धन आदि से युक्त नहीं है किन्तु उचित अनुष्ठान आदि से युक्त है । कोई एक पुरुष धन आदि से युक्त नहीं है और उचित अनुष्ठान आदि से भी युक्त नहीं है । इसी तरह युक्त परिणत, युक्त रूप और युक्त शोभा से युक्त इत्यादि सब का कथन कर देना चाहिए और इन सब का प्रतिपक्ष यानी दार्टान्तिक में पुरुष का कथन कर देना चाहिए । चार प्रकार के हाथी कहे गये हैं यथा - कोई एक हाथी अम्बावाड़ी (अम्बारी) आदि से युक्त है और वेग आदि से भी युक्त है । कोई एक हाथी अम्बावाड़ी आदि से युक्त है किन्तु वेग आदि से युक्त नहीं है । कोई एक हाथी अम्बावाड़ी आदि से युक्त नहीं है किन्तु वेग आदि से युक्त है । कोई एक हाथी अम्बावाड़ी आदि से भी युक्त नहीं है और वेग आदि से भी युक्त नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष धन आदि से युक्त है और उचित अनुष्ठान आदि से भी युक्त है । कोई एक पुरुष धन आदि से युक्त है किन्तु उचित अनुष्ठान आदि से युक्त नहीं है । कोई एक पुरुष धन आदि से युक्त नहीं है किन्तु उचित अनुष्ठान आदि से युक्त है । कोई एक पुरुष धन आदि से युक्त नहीं है और उचित अनुष्ठान आदि से भी युक्त नहीं है । इस प्रकार जैसे घोड़े का कहा है वैसे ही हाथी का भी कह देना चाहिए और उसी तरह दार्टान्तिक में पुरुष का कथन कर देना चाहिए।
.. युग्यचर्या, पुष्प और मानव व्यक्तित्व - चत्तारि जुग्गारिया पण्णत्ता तंजहा - पहजाई णाममेगे णो उप्पहजाई, उप्पहजाई णाममेगे णो पहजाई, एगे पहजाई वि उप्पहजाई वि, एगे णो पहजाई णो उप्पहजाई ।
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