Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 तिर्यञ्च योनि के दुर्गति वाले और नीच कुल में उत्पन्न हुए मनुष्य की अपेक्षा मनुष्य दुर्गति वाले। तीन सुगति वाले कहे गये हैं। यथा - सिद्ध सुगति वाले, देव सुगति वाले और मनुष्य सुगति वाले।
विवेचन - एकेन्द्रिय जीव मिथ्यादृष्टि होते हैं। बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चउरेन्द्रिय जीवों को. मिश्रदृष्टि नहीं होती है। इनको छोड़ कर नैरयिक की तरह वैमानिक पर्यन्त सभी जीव तीन दृष्टि वाले हैं। तीन प्रकार के दर्शन वाले जीव दुर्गति एवं सुगति के योग से दुर्गत-दुर्गति वाले और सुगत-सुगति वाले कहे गये हैं। अपेक्षा से मनुष्य गति दुर्गति भी है और सुगति भी है। मनुष्य गति में चांडाल आदि के रूप में उत्पन्न होना दुर्गति है और सेठ आदि के रूप में उत्पन्न होना सुगति है।
चउत्थभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए तंजहा - उस्सेइमे, संसेइमे, चाउलधोवणे। छट्टभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए तंजहा - तिलोदए तुसोदए जवोदए। अट्ठमभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए तंजहा - आयामए सोवीरए सुद्धवियडे। तिविहे उवहडे पण्णत्ते तंजहा - फलिहोवहडे, सुद्धोवहडे, संसट्ठोवहडे। तिविहे उग्गहिए. पण्णत्ते तंजहा - जंच ओगिण्हइ, जंच साहरइ, जंच आसगंसि पक्खिवइ।तिविहा ओमोयरिया पण्णत्ता तंजहा- उवगरणोमोयरिया, भत्तपाणोमोयरिया, भावोमोयरिया। उवगरणोमोयरिया तिविहा पण्णत्ता तंजहा - एगे वत्थे, एगे पाए, चियत्तोवहिसाइजणया तओ ठाणा णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा अहियाए असुहाए अक्खमाए अणिस्सेयसाए अणाणुगामियत्ताए भवंति तंजहा - कूयणया कक्करणया अवज्झाणया। तओ ठाणा णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए अणुगामियत्ताए भवंति तंजहा - अकूयणया अकक्करणया अणवज्झाणया। तओ सल्ला पण्णत्ता तंजहा - मायासल्ले णियाणसल्ले मिच्छादसणसल्ले। तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संखित्तविउलतेउलेस्से भवइ तंजहा - आयावणयाए, खंतिखमाए, अपाणगेणं तवोकम्मेणं। तिमासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स कप्पंति तओ दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए तओ पाणगस्स। एगराइयं भिक्खुपडिमं सम्मं अणणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे तओ ठाणा अहियाए असुहाए अखमाए अणिस्सेयसाए अणाणुगामियत्ताए भवंति तंजहा - उम्मायं वा लभिजा, दीहकालियं वा रोगायंकं पाउणेजा, केवलिपण्णत्ताओ वा धम्माओ भंसेजा। एगराइयं भिक्खुपडिमं सम्म
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