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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000
और स्वभाव से भी पवित्र । कोई एक पुरुष शरीर से पवित्र किन्तु स्वभाव से अपवित्र । कोई पुरुष शरीर से अपवित्र किन्तु स्वभाव से पवित्र और कोई पुरुष शरीर से भी अपवित्र और स्वभाव से भी अपवित्र। अथवा कोई पुरुष पहले पवित्र और पीछे भी पवित्र । इस तरह काल की अपेक्षा भी चौभङ्गी बनती है। ' जिस प्रकार वस्त्र के साथ शुद्ध विशेषण लगा कर यानी शुद्ध वस्त्र की चौभनी कही है। उसी प्रकार शुचि शब्द लगा कर पराक्रम तक सब चौभङ्गियाँ कह देनी चाहिएं। शुचि परिणत और शुचि रूप इन दो , में दृष्टान्त वस्त्र और दार्टान्तिक पुरुष की अपेक्षा चौभङ्गी कहनी चाहिए। शुचि मन, शुचि संकल्प, शुचि प्रज्ञा, शुचि दृष्टि, शुचि शीलाचार, शुचि व्यवहार और शुचि पराक्रम इन सात में सिर्फ पुरुष की अपेक्षा चौभङ्गी कहनी चाहिए । क्योंकि ये सात बातें पुरुष में ही पाई जाती हैं वस्त्र में नहीं। चार प्रकार के कोरक यानी कूपलें-मंजरी कही गई हैं। यथा - आम्र के फल की कूपल, ताड़ के फल की कूपल, बेल के फल की कूपल और मींढे के सींग के आकार वाले फल देने वाली वनस्पति की कूपल। इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं। ___ यथा - आम्रफल की मञ्जरी के समान यानी जिसकी सेवा करने से उचित समय पर फल. मिले। ताड़ फल की मंजरी के समान यानी जिसकी सेवा करने से बहुत समय के पश्चात् कष्ट से फल मिले। बेलफल की मंजरी के समान यानी जिसकी सेवा करने से थोड़े समय में ही सुखपूर्वक फल मिले और मीढश्रृंग नामक वनस्पति यानी आउलि नामक वनस्पति की मंजरी के समान अर्थात् जिस पुरुष की सेवा करने पर भी वह सिर्फ मीठे वचन बोले किन्तु सेवक को कुछ भी फल न दे, उसका कुछ भी उपकार न करे ।
आउलि नामक एक वनस्पति होती है जिसका फल मींढे (भेड़) के सींग के समान होता है। उसका रंग सोने के समान पीला होता है अतएव दिखने में वह बहुत सुन्दर होता है किन्तु वह अखादय (खाने के अयोग्य) होता है।
विवेचन - लोक में बहुत प्रकार की कुंपलें होती हैं किन्तु यहाँ चौथा ठाणा होने से चार प्रकार की कुंपलों का कथन किया गया है और उन कूपलों के समान चार प्रकार के पुरुषों का कथन किया गया हैं।
घुण और भिक्ष चत्तारि घुणा पण्णत्ता तंजहा - तयक्खाए, छल्लिक्खाए, कट्ठक्खाए, सारक्खाए। एवामेव चत्तारि भिक्खागा पण्णत्ता तंजहा - तयक्खायसमाणे छल्लिक्खायसमाणे, कट्ठक्खायसमाणे सारक्खायसमाणे, तयक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स सारक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, सारक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स तयक्खायसमाणे
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