Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
३०४
श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 रूप । ये छह चौभङ्गियाँ बैल का दृष्टान्त देकर बतलाई गई हैं और पुरुष का दार्टान्तिक देकर उसके साथ घटाई गई हैं। चार प्रकार के वृषभ कहे गये हैं यथा - कोई एक बैल जातिसम्पन्न है किन्तु कुलसम्पन्न नहीं है। कोई एक बैल कुलसम्पन्न है किन्तु जातिसम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल जातिसम्पन्न भी है और कुलसम्पन्न भी है । कोई एक बैल जाति सम्पन्न भी नहीं है और कुलसम्पन्न भी नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष जातिसम्पन है किन्तु कुलसम्पन नहीं है । कोई एक पुरुष कुलसम्पन्न है किन्तु जातिसम्पन्न नहीं है । कोई एक पुरुष जाति सम्पन्न भी है और कुल सम्पन्न भी है । कोई एक पुरुष जातिसम्पन्न भी नहीं है और कुलसम्पन्न भी नहीं है । चार प्रकार के बैल कहे गये हैं यथा - कोई एक बैल जाति सम्पन्न है किन्तु बलसम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल बल सम्पन्न है किन्तु जाति सम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल जातिसम्पन्न भी है और बल सम्पन्न भी है । कोई एक बैल जाति सम्पन्न भी नहीं है और बल सम्पन्न भी नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष जातिसम्पन्न है किन्तु बल सम्पन्न नहीं है । इस तरह जिस प्रकार बैल के चार भंग कहे हैं उसी प्रकार पुरुष के भी चार भंग कह देने चाहिए । चार प्रकार के बैल कहे गये हैं । यथा - कोई एक बैल जातिसम्पन्न है, किन्तु रूप सम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल रूप सम्पन्न है किन्तु जाति सम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल जाति सम्पन्न भी है और रूप सम्पन्न भी है । कोई एक बैल जाति सम्पन्न भी नहीं है और रूप सम्पन्न भी नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष जाति सम्पन्न है किन्तु रूप सम्पन्न नहीं है । इस प्रकार जिस तरह बैल की चौभङ्गी कही, उसी तरह पुरुष की भी चौभङ्गी कह देनी चाहिए । चार प्रकार के बैल कहे गये हैं । यथा - कोई एक बैल कुल संपन्न है किन्तु बल सम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल बल सम्पन्न है किन्तु कुलसम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल कुल सम्पन्न भी है और बल सम्पन्न भी है । कोई एक बैल कुल सम्पन्न भी नहीं है और बल सम्पन्न भी नहीं है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष कुलसम्पन्न है किन्तु बल सम्पन्न नहीं है । इस तरह जिस प्रकार बैल की चौभङ्गी कही • गई है उसी प्रकार पुरुष की भी चौभङ्गी समझनी चाहिए । चार प्रकार के बैल कहे गये हैं । यथा - कोई एक बैल कुल सम्पन्न है किन्तु रूप सम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल रूप सम्पन्न है किन्तु कुल सम्पन्न नहीं है । कोई एक बैल कुल सम्पन्न भी है और रूप सम्पन्न भी है । कोई एक बैल. कुल सम्पन्न भी नहीं है और रूप सम्पन्न भी नहीं है। इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष कुल सम्पन्न है किन्तु रूप सम्पन्न नहीं है। इस प्रकार बैल की चौभङ्गी की तरह पुरुष की चौभनी भी कह देनी चाहिए । चार प्रकार के बैल कहे गये हैं। यथा - कोई एक बैल बल सम्पन्न है किन्तु रूप सम्पन्न नहीं है। कोई एक बैल रूप सम्पन्न है किन्तु बल सम्पन्न नहीं है। कोई एक बैल बल सम्पन्न भी है और रूप सम्पन्न भी है। कोई एक बैल बल सम्पन्न भी नहीं है और रूप संपन्न भी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org