Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ४ उद्देशक २
३०९
इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति, इहलोगे दुचिण्णा कम्मा परलोगे दुहफल विवाग संजुत्ता भवंति, परलोगे दुचिण्णा कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति, परलोगे दुचिण्णा कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति । इहलोगे सुचिण्णा कम्मा इहलोगे सुहफलविवाग संजुत्ता भवंति, इहलोगे सुचिण्णा कम्मा परलोगे सुहफलविवाग संजुत्ता भवंति । परलोगे सुचिण्णा कम्मा परलोगे सुहफलविवाग संजुत्ता भवंति । परलोगे सुचिण्णा कम्मा परलोगे सुहफल विवागसंजुत्ता भवंति॥१४९॥
कठिन शब्दार्थ - विकहाओ - विकथाएँ, जाइ कहा - जाति कथा, कुल कहा - कुल कथा, रूव कहा - रूप कथा, णेवत्थ कहा - नेपथ्य कथा-वेश कथा, आवाव कहा - आवाप कथा, णिव्वाव कहा- निर्वाप कथा, आरंभ कहा - आरम्भ कथा, णिट्ठाण कहा - निष्ठान कथा, देसविहि कहादेश विधि कथा, देसविकप्प कहा - देश विकल्प कथा, देसच्छंद कहा - देशछन्द कथा, देसणेवत्थ कहा- देश नैपथ्य (वेश-पेहनाव) कथा, अइयाण कहा - अतियान कथा, णिज्जाण कहा - निर्याण कथा, बलवाहण कहा - बलवाहन कथा, कोस कोट्ठागार कहा- धन धान्यादि के भण्डार की कथा, अक्खेवणी - आक्षेपणी, विक्खेवणी - विक्षेपणी, संवेयणी - संवेगनी, णिव्वेयणी - निवेदनी, ससमयं- स्व सिद्धान्त को, ठावइत्ता - स्थापित करके, सम्मावायं - सम्यग्वाद, मिच्छावायं - मिथ्यावाद, आयसरीर संवेगणी - आत्म शरीर-स्वशरीर संवेगनी, दुच्चिणा - दुष्ट रूप से उपार्जन किये गये, कम्मा - कर्म, दुहफल विवागसंजुत्ता - दुःख रूप फल देने वाले, सुच्चिणा- शुभ रूप से उपार्जन किये गये, सहफल विवाग संजुत्ता - सुख रूप फल देने वाले। . भावार्थ - चार विकथाएँ कही गई हैं । यथा - स्त्री कथा, भक्त कथा, देश कथा, राजकथा । स्त्री कथा चार प्रकार की कही गई है । यथा - स्त्रियों की जाति की कथा, स्त्रियों के कुल की कथा, स्त्रियों के रूप की कथा और स्त्रियों की नेपथ्य कथा यानी वेश की कथा । भक्त कथा चार प्रकार की कही गई है । यथा - भक्त यानी भोजन की आवाप कथा यानी अमुक भोजन बनाने में इतने इतने अमुक सामान की जरूरत है इत्यादि कथा करना । भोजन की निर्वाप कथा यानी मिठाइयां इतने प्रकार की होती हैं, शाक इतने प्रकार के होते हैं, इत्यादि कथा करना । भोजन की आरम्भ कथा यानी अमुक शाक में इतने नमक मिर्च की जरूरत है, इत्यादि कथा करना । भोजन की निष्ठान कथा यानी अमुक भोजन में इतने पदार्थ डालने से ही वह स्वादिष्ट बनता है, इत्यादि कथा करना । देश कथा चार प्रकार की कही गई है । यथा - देश विधि कथा यानी अमुक देश का खान, पान, रीति रिवाज, वस्त्रादि पहनने की विधि अच्छी या बुरी है, इत्यादि कथा करना, देश विकल्प कथा यानी अमुक देश में धान्य की उत्पत्ति, बावड़ी, कुंएं आदि खूब हैं, इत्यादि कथा करना, देश छन्द कथा यानी अमुक देश में मामा की
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