Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान २ उद्देशक ४
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उपरोक्त आवलिका १,६७,७७,२१६ में ३७७३ का भाग देने पर ४४४६ से कुछ अधिक आवलिका का परिमाण निकल आता है।) संख्यात आवलिकांओं का एक आणापाणू (श्वासोच्छ्वास) होता है। सात आणापाणू का एक स्तोक, ७ स्तोक का एक लव, ७७ लव का एक मुहूर्त होता है। ३० मुहूर्तों का एक अहोरात्र, १५ अहोरात्र का एक पक्ष, दो पक्ष का एक मास, दो मास की एक ऋतु, तीन ऋतुओं का एक अयन, दो अयनों का एक संवत्सर, पांच संवत्सर का एक युग, बीस युग के १०० वर्ष यावत् ८४ लाख पूर्वाङ्ग का एक पूर्व, ८४ लाख पूर्वो का एक त्रुटिताङ्ग इस प्रकार उत्तरोत्तर ८४ लाख को ८४ लाख से गुणा करने पर शीर्ष प्रहेलिका पर्यन्त उत्कृष्ट संख्यात संख्या बन जाती है। इसके आगे भी संख्यात संख्या है. किन्तु वह शब्दों द्वारा नहीं कही जा सकती है। इससे आगे असंख्यात काल है जो उपमा द्वारा समझाया जाता है। उत्सेधअंगुल के परिमाण से चार कोस के लम्बे और चार कोस के चौड़े कुएं को देवकुरु उत्तरकुरु के युगलिए के सात दिन के बच्चे के बालों के अत्यंत सूक्ष्म खण्ड करके भरे फिर सौ सौ वर्ष में एक एक बाल का खण्ड निकाले। जितने समय में वह कुआ खाली हो उतने समय को एक पल्योपम कहते हैं। दस कोडाकोडी पल्योपम का एक सागरोपम होता है। दस कोडाकोडी सागरोपम का एक उत्सर्पिणी काल होता है और अवसर्पिणी काल. भी दस कोडाकोडी सागरोपम का होता है। उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी दोनों काल मिल कर एक काल चक्र होता है अर्थात् बीस कोडाकोडी सागरोपम का एक कालचक्र होता है।
गामा इवा, णगरा इवा, णिगमा इ वा, रायहाणी इ वा, खेडा इवा, कब्बडाइ वा, मडंबा इवा, दोणमुहा इवा, पट्टणा इवा, आगरा इवा, आसमा इवा, संबाहाई वा, सण्णिवेसा इवा, घोसा इ वा, आरामा इ वा, उज्जाणा इ वा, वणाइ वा, वणखंडाइवा, वावी इवा, पुक्खरणी इवा, सराइ वा, सरपंती इवा, अगडा इवा, तलागा इ वा, दहा इ वा, णई इ वा, पुढवी इ वा, उदही इ वा, वायखंधा इ वा, उवासंतरा इ वा, वलया इ वा, विग्गहा इ वा, दीवा इ वा, समुद्दा इ वा, वेला इवा, वेइया इ वा, दारा इ वा, तोरणा इ वा, णेरइया इ वा, णेरड्यावासा इ वा, जाव वेमाणियाइवा, वेमाणियावासा इवा, कप्पा इ.वा, कप्पविमाणावासा इवा, वासाइ वा, वासहरपव्वया इ वा, कूडा इवा, कूडागारा इ वा, विजया इवा, रायहाणी इवा,, जीवा इ वा, अजीवा इ वा पवुच्चइ । छाया इ वा, आयवा इ वा, दोसिणा इ वा, अंधगारा इवा, ओमाणा इवा, उम्माणा इवा, अइयाणगिहा इवा, उज्जाणगिहाइ वा, अवलिंबा इवा, सणिप्पवाया इवा, जीवा इ वा, अजीवा इवा, पवुच्चइ॥४४॥
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