Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ३ उद्देशक १ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 चक्कवट्टिवंसे दसारवंसे, एवं जाव पुक्खरवरदीवद्धपच्चत्थिमद्धे। जंबूहीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगमेगाए ओसप्पिणी उस्सप्पिणीए तओ उत्तमपुरिसा उप्पग्जिंसु वा उप्पजंति वा उप्पग्जिस्संति वा तंजहा - अरिहंता चक्कवट्टी बलदेव वासुदेवा। एवं जाव पुक्खरवर दीवद्धपच्चत्थिमद्धे। तओ अहाउयं पालयंति तंजहा - अरिहंता चक्कवट्टी बलदेव वासुदेवा। तओ मज्झिममाउयं पालयंति तंजहा - अरिहंता चक्कवट्टी बलदेव वासुदेवा॥७१॥
कठिन शब्दार्थ - परमाउं - उत्कृष्ट आयु का, पालइत्था - पालन करते थे, वंसाओ - वंश, अहाउयं - पूर्ण आयु, मज्झिमआउयं - मध्यम आयु का।
भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्रों में अतीत उत्सर्पिणी काल के सुषम (सुखम) नामक आरे का काल तीन कोडाकोडी सागरोपम का था। इसी प्रकार अवसर्पिणी का सुषम (सुखम) आरा तीन कोडाकोडी सागरोपम का कहा गया है। इसी प्रकार आगामी उत्सर्पिणी काल . का सुषम (सुखम) आरा तीन कोडाकोडी सागरोपम का होगा। इसी प्रकार धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्द्ध में तथा अर्द्ध पुष्करद्वीप के पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्द्ध में भी इसी प्रकार सुषम (सुखम) आरे का काल कहना चाहिए। इस जम्बूद्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्रों में अतीत उत्सर्पिणी काल के सुषमसुषमा (सुखमासुखम) आरे में मनुष्यों का शरीर तीन कोस की ऊंचाई वाला होता था और वे तीन पल्योपम की उत्कृष्ट आयु का पालन करते थे। इसी प्रकार इस अवसर्पिणी काल में और आगामी उत्सर्पिणी काल में तीन कोस का शरीर और तीन पल्योपम का आयुष्य होता है। इस जम्बूद्वीप के देवकुरु और उत्तरकुरु में यावत् अर्द्ध पुष्करवरद्वीप के पश्चिमार्द्ध तक सब द्वीपों में मनुष्यों के शरीर की ऊंचाई तीन कोस की कही गई है और मनुष्य तीन पल्योपम की उत्कृष्ट आयु का पालन करते हैं। इस जम्बूद्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्रों में यावत् अर्द्ध पुष्करवर द्वीप के पश्चिमार्द्ध तक सब द्वीपों में प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल में तीन वंश उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे यथा - अरिहंतों का वंश, चक्रवर्ती का वंश और दशारवंश यानी बलदेव वासुदेव का वंश। इस जम्बूद्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्रों में यावत् अर्द्ध पुष्करवर द्वीप के पश्चिमार्द्ध तक सब द्वीपों में प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल में तीन उत्तम पुरुष उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे यथा - अरिहंत, चक्रवर्ती और बलदेव वासुदेव । तीन पुरुष पूर्ण आयु का पालन करते हैं यथा - अरिहन्त, चक्रवर्ती और बलदेव वासुदेव। इसी प्रकार अरिहन्त, चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव ये तीन पुरुष मध्यम आयु का पालन करते हैं अर्थात् इन्हें वृद्धावस्था नहीं आती किन्तु सदा युवावस्था बनी रहती है।
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