Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ३ उद्देशक २
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के प्रभाव से प्राप्त संघादि के प्रयोजन से बल (सेना) वाहन सहित चक्रवर्ती आदि के मान को मर्दन करने वाली लब्धि के प्रयोग और ज्ञानादि के अतिचारों के सेवन द्वारा संयम को पुलाक की तरह निस्सार करने वाला साधु पुलाक कहा जाता है।
- निर्ग्रन्थ - ग्रन्थ का अर्थ मोह है। मोह से रहित साधु निर्ग्रन्थ कहलाता है। उपशान्त मोह और क्षीण मोह के भेद से निर्ग्रन्थ के दो भेद हैं। .
स्नातक - शुक्ल ध्यान द्वारा सम्पूर्ण घाती कर्मों के समूह को क्षय करके जो शुद्ध हुए हैं वे स्नातक कहलाते हैं।
सण्ण णो सण्णोवउत्त (संज्ञा नो संज्ञोपयुक्त) - संज्ञा यानी आहारादि की इच्छा और नो संज्ञा यानी आहार आदि की इच्छा से रहित। संज्ञा और नो संज्ञा के उपयोग वाले जीव संज्ञा नो संज्ञोपयुक्त कहलाते हैं। बकुश, प्रतिसेवना कुशील और कषाय कुशील संज्ञा नो संज्ञोपयुक्त कहे गये हैं।
बकुश - बकुश शब्द का अर्थ है शबल अर्थात् चित्र वर्ण (चितकबरा)। शरीर और उपकरण की शोभा करने से जिसका चारित्र शुद्धि और दोषों से मिला हुआ अतएव अनेक प्रकार का है वह बकुश कहा जाता है।
प्रतिसेवनाकुशील- चारित्र के प्रति अभिमुख होते हुए भी अजितेन्द्रिय एवं किसी तरह पिण्ड विशुद्धि, समिति, भावना, तप, प्रतिमा आदि उत्तरगुणों की विराधना करने से सर्वज्ञ की आज्ञा का उल्लंघन करने वाला प्रतिसेवना कुशील कहलाता है। -- कवाय कुशील - संप्वलन कषाय के उदय से सकषाय चारित्र वाला साधु कषाय कुशील कहा जाता है।
शैक्ष भूमि - दीक्षा देने के बाद महाव्रत आरोपण करना यानी बड़ी दीक्षा देना शैक्षभूमि' कहलाती है। जघन्य सात दिन-रात, मध्यम चार महीने और उत्कृष्ट छह महीने, ये क्रमशः तीन प्रकार की शैक्ष भूमियाँ कही गयी हैं।
- स्थविर - जो संयम से डिगते हुए को संयम में स्थिर करे उसे 'स्थविर' कहते हैं। स्थविर के 'तीन भेद इस प्रकार हैं -
१. वयः स्थविर (जाति स्थविर)- साठ वर्ष की अवस्था के साधु वयः स्थविर कहलाते हैं। इनको जाति स्थविर या जन्म स्थविर भी कहते हैं।
- २. श्रुत स्थविर - श्री स्थानांग (ठाणांग) सूत्र और समवायांग सूत्र के ज्ञाता साधु श्रुत स्थविर कहलाते हैं। ... ३. प्रव्रज्या स्थविर - बीस वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले साधु प्रव्रज्या स्थविर कहलाते हैं। इनको दीक्षा स्थविर भी कहते हैं।
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