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स्थान ३ उद्देशक १
१५१ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 समय में जो रक्षा करने वाले पुरुष थे वे जो गुरुस्थानीय पुरुष थे वे भोगकुल वाले और क्षत्रिय वंश में स्थापित किये हुए पुरुष राजन्य पुरुष कहलाते हैं। जघन्य पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं। यथादासी के पुत्र को दास, भृतक यानी पैसे लेकर काम करने वाले और भागीदार यानी सम्पत्ति का हिस्सा बंटाने वाले पुरुष । ये जघन्य पुरुष के तीन भेद हैं। -- _ विवेचन - नाम मात्र से जो पुरुष है वह नाम पुरुष, पुरुष की प्रतिमा आदि स्थापना पुरुष और पुरुष रूप में भविष्य में उत्पन्न होगा अथवा भूतकाल में जो उत्पन्न हुआ है वह द्रव्य पुरुष कहलाता है। जिसमें ज्ञान लक्षण रूप भाव प्रधान है वह ज्ञान पुरुष, समकित की प्रधानता वाला दर्शन पुरुष और चारित्र की प्रधानता वाला चारित्र पुरुष कहलाता है। क्षायिक चारित्र आदि धर्म को उत्पन्न करने में तत्पर पुरुष धर्म पुरुष कहलाता है। कहा है - 'धम्मपुरिसो तयजण - वावारपरो जह सुसाहू' धर्म उत्पन्न करने में जो तत्पर हो वह धर्म पुरुष कहलाता है जैसे साधु । मनोज्ञ शब्दादि विषय भोग है और जो पुरुष भोग में तत्पर है वह भोग पुरुष कहलाता है कहा है - 'भोगपुरिसो समग्जिय विसयसुहो चक्कवट्टिव्व' - अच्छी तरह से प्राप्त हैं विषय सुख जिन्हें ऐसे चक्रवर्ती के समान भोगपुरुष जानना। महारंभ आदि करके नरकायुष्य बांधने वाले पुरुष कर्मपुरुष कहलाते हैं। भगवान् ऋषभदेव के राज्यकाल में जो आरक्षक कोतवाल थे वे उग्रपुरुष, जो गुरु स्थानीय (माननीय पद. पर) थे वे भोगपुरुष और राज्य काल में जो मित्र थे वे राजन्य पुरुष कहलाते थे। उनके वंशज उग्रकुल वाले, भोगकुल वाले और राजन्य कुल वाले कहलाते हैं।
तिविहा मच्छा पण्णत्ता तंजहा - अंडया पोयया सम्मुच्छिमा। अंडया मच्छा तिविहा पण्णत्ता तंजहा - इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा। पोयया मच्छा तिविहा पण्णत्ता तंजहा - इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा। तिविहा पक्खी पण्णत्ता तंजहा - अंडया पोयया सम्मुच्छिमा। अंडया पक्खी तिविहा पण्णत्ता तंजहा - इत्थी पुरिसा णपुंसगा। पोयया पक्खी तिविहा पण्णत्ता तंजहा - इत्थी पुरिसा णपुंसगा। एवं एएणं अहिलावेणं उरपरिसप्पा वि भाणियव्वा। भुजपरिसप्पा वि भाणियव्या। एवं चेव तिविहा इत्थीओ पण्णत्ताओ तंजहा - तिरिक्खजोणित्थिओ मणुस्सित्थीओ देवित्थीओ। तिरिक्खजोणीओ इथिओ तिविहाओ पण्णत्ताओ संजहा - जलयरीओ थलयरीओ खहयरीओ। मणुस्सित्थीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ तंजहा-कम्मभूमियाओ अकम्मभूमियाओ अंतरदीवियाओ। तिविहा पुरिसा पण्णत्ता तंजहातिरिक्खजोणियपुरिसा मणुस्सपुरिसा देवपुरिसा। तिरिक्खजोणियपुरिसा तिविहा
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