Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान २ उद्देशक
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दो देव रहते हैं । यावत् वहां के मनुष्य छहों काल का अनुभव करते हुए विचरते हैं । पुष्करार्द्ध द्वीप के पश्चिम के आधे भाग में मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण दिशा में भरत और ऐरवत ये दो क्षेत्र कहे गये हैं यावत् सारा अधिकार धातकीखण्ड के समान है। सिर्फ इतनी विशेषता है कि वहाँ पर कूटशाल्मली और महापद्म वृक्ष नाम के दो महाद्रुम हैं और उन पर क्रमशः गरुड़ वेणुदेव और पुण्डरीक ये दो देव रहते हैं । अर्द्ध पुष्करवर द्वीप में दो भरत, दो ऐरवत, दो मेरु पर्वत, दो मेरु पर्वत की चूलिकाएं हैं यावत् सारा अधिकार धातकीखण्ड द्वीप के समान कह देना चाहिए। पुष्करवर द्वीप की वेदिका दो गाऊ ऊँची कही गई है। सभी द्वीप समुद्रों की वेदिकाएं दो गाऊ ऊंची कही गई है।
विवेचन - धातकीखण्ड द्वीप के चारों ओर ८ लाख योजन की लम्बाई चौडाई वाला कालोद (कालोदधि) समुद्र है । कालोदधि समुद्र के चारों ओर १६ लाख योजन की लम्बाई चौडाई वाला पुष्करवर द्वीप है । इस द्वीप के मध्य में वलयाकार मानुषोत्तर पर्वत है जो इस द्वीप के दो विभाग करता है। इसके भीतर आधे भाग में ही मनुष्य रहते हैं बाहर नहीं । अर्द्ध पुष्कर द्वीप में धातकीखण्ड की तरह नदी, वर्ष, वर्षधर और मेरु पर्वत आदि है ।
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एक लाख योजन का जम्बूद्वीप, दोनों तरफ चार लाख योजन का लवण समुद्र, दोनों तरफ आठ लाख योजन का धातकीखण्डद्वीप, दोनों तरफ १६ लाख योजन का कालोदधि समुद्र और दोनों तरफ सोलह लाख योजन का पुष्करार्द्ध द्वीप इस प्रकार १+४+८+१६+ १६ = ४५ लाख योजन का अढाई द्वीप है । अढाई द्वीप में ही मनुष्य रहते हैं इसलिये इसे मनुष्य लोक अथवा मनुष्य क्षेत्र कहते हैं। सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र, तारे आदि मनुष्य लोक में ही चर (गति शील) हैं। सूर्य की गति से दिन रात आदि काल की गणना होती है अतः मनुष्य लोक को ही 'समय क्षेत्र' कहते हैं।
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दो असुरकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा - चमरे चेव बली चेव । दो णागकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा धरणे चेव भूयाणंदे चेव । दो सुवण्णकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा वेणुदेवे चेव वेणुदाली चेव । दो विज्जुकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा हरि चेव हरिस्सहे चेव । - दो अग्गिकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा अग्गिसिहे चेव अग्गिमाणवे चेव । दो दीवकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा पुण्णे चेव विसिट्टे चेव । दो उदहिकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा जलकंते चेव जलप्पभे चेव । दो दिसाकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा अमियगई चेव अमियवाहणे चेव । दो वाउकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा वेलंबे चेव पभंजणे चेव । दो थणियकुमारिंदा पण्णत्ता तंजहा घोसे चेव महाघोसे चेव । दो पिसायइंदा पण्णत्ता तंजा काले चेव महाकाले चेव । द्रो भूयइंदा पण्णत्ता तंजहा सुरूवे चेव पडिरूवे चेव । दो जक्खिंदा पण्णत्ता तंजहा पुण्णभद्दे चेव माणिभद्दे चेव । दो रक्खसिंदा
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