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(२) उपमिति भवप्रपंच स्तवन - श्री सिद्धर्षिगणि के द्वारा विरचित 'उपमिति भवप्रपंचा' ग्रन्थ के आधार पर सूरत चातुर्मास में संवत् १७१६ में इसकी रचना की गई थी । इस स्तवन में १३८ गाथाएं हैं। 'उपमिति भवप्रपंचा' की तरह ही इस स्तवन में बहुत ही सुन्दर शैली में संसार के स्वरूप का वास्तविक चित्रण किया गया है ।
(३) पट्टावली सज्झाय — इस सज्झाय में सुधर्मा स्वामी से लेकर अपने गुरुदेव कीर्तिविजय उपाध्याय तक की पट्टावली का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है । इसमें कुल ७२ गाथाएँ हैं ।
(४) पाँच समवाय काररण स्तवन- - इस स्तवन में काल, स्वभाव, भवितव्यता, कर्म और पुरुषार्थ रूप पाँच समवायी कारणों का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है ।
(५) चौबीसी स्तवन - वर्तमान चौबीसी के समस्त तीर्थंकरों के अत्यन्त ही भक्ति भावगर्भित स्तवनों की रचना की है ।
(६) वीशी स्तवन - सीमन्धर स्वामी आदि तीर्थंकर भगवन्तों के भावगर्भित बीस स्तवन ।
बीस विहरमान
में रांदेर में चातुर्मास
(७) पुण्य प्रकाश स्तवन - वि. सं. १७२९ स्थिरता दरम्यान 'आराधना सूत्र' पयन्ना के आधार पर इस स्तवन की रचना की गई है । इसमें ७० गाथाएँ हैं । समाधिमरण के लिए श्रत्यन्त उपयोगी १० बातों का इसमें सुन्दर संकलन किया गया है ।
(८) भगवती सूत्र की सज्झाय - संवत् १७३१ में रांदेर चातुर्मास में भगवती सूत्र सज्झाय की रचना की थी । इसमें भगवती सूत्र की महिमा तथा उसके पठन-पाठन स्वाध्याय का लाभ बतलाया गया है ।
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