Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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गोल-गोल चक्करदार हवाओं से प्रारम्भ होकर उठने वाली वायु, गुंजावाए - गुंजावात गुंजती हुई चलने वाली वायु, झंझावाए - झंझावात - वृष्टि सहित वायु, संवट्टगवाए संवर्तक वायु-तृण आदि को उड़ा कर ले जाने वाली वायु, घणवाए - घनवात ठोस वायु, तणुवाए - तनुवात - प्रवाही वायु - घनवात के नीचे रही हुई पतली वायु, सुद्धवाए शुद्धवात - शुद्ध वायु-मंद तथा स्थिर वायु - धीरे-धीरे बहने वाली हवा या मशक आदि में रही हुई हवा |
भावार्थ- प्रश्न- बादर वायुकायिक जीव कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर
बादर वायुकायिक जीव अनेक प्रकार के कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं- पूर्व वायु, पश्चिम वायु, दक्षिण वायु, उत्तर वायु ऊर्ध्व वायु, अधो वायु, तिर्यक् वायु, विदिग् वायु, वातोद्भ्राम, वातोत्कलिका, वातमंडलिका, उत्कलिकावात, मंडलिकावात, गुंजावात, झंझावात, संवतर्कवात, घनवात, तनुवात, शुद्धवात। अन्य जितनी भी इस प्रकार की हवाएँ हैं उन्हें भी बादर वायुकायिक ही समझना चाहिए। (यहाँ पर बादर वायुकायिकों में सचित्त वायुओं का ही ग्रहण हुआ है आक्सीजन आदि अचित्त वायुओं का ग्रहण नहीं समझना चाहिये ।) वे संक्षेप में दो प्रकार के कहे गए हैं। यथा- पर्याप्त और अपर्याप्त। इनमें जो अपर्याप्त हैं वे असम्प्राप्त हैं। इनमें जो पर्याप्त हैं उनके वर्णादेश, गंधादेश, रसादेश और स्पर्शादेश से हजारों भेद होते हैं। इनके संख्यात लाख योनि द्वार हैं। पर्याप्त की निश्राय में अपर्याप्त उत्पन्न होते हैं। जहाँ एक पर्याप्त है वहाँ नियम से असंख्यात अपर्याप्त होते हैं। इस प्रकार बादर वायुकायिक जीव कहे गये हैं। इस प्रकार वायुकायिक जीवों की प्ररूपणा पूर्ण हुई ।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में बादर वायुकायिक जीवों के भेद-प्रभेदों का कथन किया गया है।
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वनस्पतिकायिक जीव प्रज्ञापना
से किं तं वणस्सइकाइया ? वणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता । तंजहा - सुहुम वणस्सइकाइया य बायर वणस्सइकाइया य ॥ २७ ॥
भावार्थ प्रश्न वनस्पतिकायिक जीव कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
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प्रज्ञापना सूत्र
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उत्तर वनस्पतिकायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं
वनस्पतिकायिक और २. बादर वनस्पतिकायिक |
से किं तं सुहुम वणस्सइकाइया ? सुहुम वणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - पज्जत्तग सुहुम वणस्सइकाइया य अपज्जत्तग सुहुम वणस्सइकाइया य । से तं
सुहुम वणस्सइकाइया ॥ २८ ॥
भावार्थ
प्रश्न सूक्ष्म वनस्पतिकायिक के कितने भेद कहे गये हैं ?
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१. सूक्ष्म
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