Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
९४
प्रज्ञापना सूत्र
******
******************
जोणिया पंचविहा पण्णत्ता तंजहा - १ मच्छा २ कच्छभा (कच्छहा) ३ गाहा ४ मगरा ५ सुंसुमारा।
से किं तं मच्छा? मच्छा अणेगविहा पण्णत्ता। तंजहा-सण्हमच्छा, खवल्लमच्छा, जुंगमच्छा, विज्झडियमच्छा, हलिमच्छा, मगरिमच्छा, रोहियमच्छा, हलीसागरा, गागरा, वडा, वडगरा, गब्भया उसगारा, तिमी, तिमिंगिला, णक्का, तंदुलमच्छा, कणिक्कामच्छा, साली, सत्थियामच्छा लंभणमच्छा, पडागा, पडागाइपडागा, जेयावण्णे तहप्पगारा।से तं मच्छा।
से किं तं कच्छभा ? कच्छभा दुविहा पण्णत्ता तंजहा-अट्टिकच्छभा य मंसकच्छभा य।से तं कच्छभा।
से किं तं गाहा? गाहा पंचविहा पण्णत्ता तंजहा-१ दिली २ वेढगा ३ मुद्धया ४ पुलया ५ सीमागारा।से तं गाहा।
से किं तं मगरा? मगरा दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-१ सोंडमगरा य २ मट्ठमगरा य। से तं मगरा।
से किं तं सुसुमारा? सुंसुमारा एगागारा पण्णत्ता। से तं सुंसुमारा।
जे या वण्णे तहप्पगारा। ते समासओ दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-समुच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य। तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे णपुंसगा। तत्थ णं जे ते गब्भवक्कंतिया ते तिविहा पण्णत्ता। तंजहा-इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा। एएसि णं एवमाइयाणं जलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणियाणं पजत्तापजत्ताणं अद्धतेरस जाइकुलकोडि जोणिप्पमुह सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं। से तं जलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया॥५०॥
कठिन शब्दार्थ - मच्छा - मत्स्य, कच्छभा - कच्छप (कछुए) गाहा - ग्राह। भावार्थ - प्रश्न - जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक पांच प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. मत्स्य २. कच्छप ३. ग्राह ४. मगर और ५. सुंसुमार (शिशुमार)। ..
प्रश्न - मत्स्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर - मत्स्य अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - श्लक्ष्ण मत्स्य, खवल्ल मत्स्य,
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org