Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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२६०.
प्रज्ञापना सूत्र
प्रश्न- ऊपर के प्रश्न के उत्तर में गद्य पाठ का उल्लेख किया है, वह गद्य पाठ कौन सा है ? उत्तर - उपरोक्त गद्य पाट उववाई सूत्र का वह इस प्रकार हैजीता णं भंते! सिज्झमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिज्झति ?
डीपीपी
गोयमा ! जहणणे सत्तरयणीओ, उक्कोसेणं पंचधणुस्सए सिज्झति ॥
अर्थ - हे भगवन्! शरीर की कितनी ऊँचाई वाले सिद्ध होते है ?
उत्तर - हे गौतम! जघन्य सात हाथ की ऊँचाई वाले और उत्कृष्ट पाँच सौ धनुष्य की ऊँचाई वाले सिद्ध होते हैं ।
इस गद्य पाठ से यह बात स्पष्ट होती हैं कि सात हाथ की ऊँचाई वाले अर्थात् जघन्य अवगाहनी 1 वाले तीर्थङ्कर ही होते हैं। यह अवगाहना अवसर्पिणी काल के धोबीसवें तीर्थङ्कर और उत्सर्पिणी काल के पहले तीर्थङ्कर की अपेक्षा समझना चाहिए।
प्रश्न - गाथा नम्बर आठ में सिद्धों की जघन्य अवगाहना एक हाथ आठ अङ्गुल की बताई है, उसकी संगति कैसे होगी ?
उत्तर - उववाई सूत्र में अन्त में सिद्धों से सम्बन्धित २२ (बाईस) गाथाएँ दी गयी हैं। वे बाईस गाथाएँ ज्यों कि त्यों इस पण्णवणा सूत्र में दी गयी है। इस आठवीं गाथा में सिद्धों की अवगाहना जो एक हाथ आठ अङ्गुल बतलाई गयी है, वह दो हाथ की ऊँचाई से सिद्ध होने वाले जीवों के लिए बतलाई गयी है। इसके लिए टीकाकार ने कूर्मापुत्र का दृष्टान्त दिया है जो कि दो हाथ की ऊंचाई वाले सिद्ध हुए थे ।
अतः यह स्पष्ट हो गया कि गाथा नम्बर सात में चार हाथ सोलह अङ्गुल की सिद्धों की जो मध्यम अवगाहना बताई है वह तीर्थङ्कर भगवन्तों की अपेक्षा जघन्य अवगाहना समझनी चाहिए। यह बात टीकाकार ने भी स्पष्ट कर दी है।
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उत्तर -
प्रश्न- सिद्ध भगवन्तों की अवगाहना जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट किस प्रकार समझना चाहिए ? सिद्ध भगवन्तों की जघन्य अवगाहना एक हाथ आठ अङ्गुल होती है और उत्कृष्ट अवगाहना ३३३ धनुष और बत्तीस अङ्गुल (एक हाथ आठ अङ्गुल) इसके बीच की सब अवगाहना मध्यम अग्गाहना कहलाती है। अर्थात् एक हाथ आठ अङ्गुल से कुछ अधिक अवगाहना से लेकर पांच सौ धनु में कुछ कम तक सब अवगाहना मध्यम अवगाहना होती है।
प्रश्न - सिद्ध भगवन्तों की अवगाहना किस प्रकार बोलना चाहिये ?
उत्तर - सिद्ध भगवन्तों की अवगाहना में जघन्य अवगाहना दो प्रकार से बोलना चाहिये यथासामान्य केवलियों की अपेक्षा जघन्य अवगाहना एक हाथ आठ अंगुल और तीर्थंकर भगवन्तों की
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