Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - इन्द्रिय द्वार
२९३
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बादर एकेन्द्रिय में पर्याप्तक थोडे हैं और अपर्याप्तक अधिक हैं। किन्तु सूक्ष्म एकेन्द्रिों में इससे विपरीत समझना चाहिए अर्थात् सूक्ष्म एकेन्द्रिय में अपर्याप्तक थोड़े हैं और पर्याप्तक अधि हैं।
एएसि णं भंते! बेइंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा बेइंदिया पजत्तगा बेइंदिया अपजत्तगा असंखिज गुणा॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! बेइन्द्रिय पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
उत्तर- हे गौतम! सबसे थोड़े बेइन्द्रिय पर्याप्तक हैं उनसे बेइन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यात गुणा हैं।
एएसि णं भंते! तेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा तेइंदिया पजत्तगा, तेइंदिया अपज्जत्तगा असंखिज गुणा॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! तेइन्द्रिय पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर- हे गौतम! सबसे थोड़े तेइन्द्रिय पर्याप्तक हैं उनसे तेइन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यात गुणा हैं।
एएसि णं भंते! चउरिदियाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? - गोयमा! सव्वत्थोवा चउरिदिया पजत्तगा, चउरिदिया अपजत्तगा असंखिज गुणा॥ ...
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! चउरिन्द्रिय पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
उत्तर-हे गौतम! सबसे थोड़े चउरिन्द्रिय पर्याप्तक हैं उनसे चउरिन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं।
एएसि णं भंते! पंचिंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा पंचेंदिया पजत्तगा, पंचेंदिया अपज्जत्तगा असंखिज गुणा ॥१५०॥
प्रश्न - हे भगवन्! पंचेन्द्रिय पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
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