Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 396
________________ तीसरा बहुवक्तव्यता पद - पुद्गल द्वार - ३८३ ********************************************************* * हैं, उनसे असंख्यात प्रदेशिक स्कंध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं। प्रदेशों की अपेक्षा से - सबसे थोड़े प्रदेश की अपेक्षा से अनन्त प्रदेशिक स्कन्ध हैं, उनसे परमाणु पुद्गल अप्रदेश की अपेक्षा अनन्त गुणा हैं, उनसे संख्यात प्रदेशिक स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा संख्यातगुणा हैं, उनसे असंख्यात प्रदेशिक स्कंध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं। द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से-सबसे थोड़े अनन्त प्रदेशिक स्कंध द्रव्य की अपेक्षा हैं, उनसे प्रदेश की अपेक्षा अनन्तगुणा हैं, उनसे परमाणु पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा-अप्रदेश की अपेक्षा अनंत गुणा हैं, उनसे संख्यात प्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा संख्यात गुणा हैं और प्रदेश की अपेक्षा संख्यात गुणा हैं, उनसे असंख्यात प्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं और प्रदेश की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में द्रव्य, प्रदेश और द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा संख्यात-असंख्यात-अनंत प्रदेशी परमाणु पुद्गलों का अल्पबहुत्व का कथन किया गया है। ___एएसि णं भंते! एगपएसोगाढाणं संखिजपएसोगाढाणं असंखिजपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए, संखिजपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखिजगुणा, असंखिजपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखिजगुणा, पएसट्ठयाए-सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला अपएसट्ठयाए, संखिज्जपएसोगाढा पोग्गला पएसट्ठयाए संखिजगुणा, असंखिज्जपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए असंखिज्जगुणा। दव्वट्ठपएसट्टयाए-सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पुग्गला दव्वट्ठपएसट्टयाए, संखिज्जपएसोगाढा पुग्गला दव्वट्ठयाए संखिजगुणा, ते चेव पएसट्टयाए संखिजगुणा, असंखिजपएसोगाढा पुग्गला दव्वट्ठयाए असंखिज्जगुणा, ते चेव पएसट्टयाए असंखिजगुणा॥ २१४॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन एक प्रदेशावगाढ़, संख्यात प्रदेशावगाढ़ और असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों में द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेश की अपेक्षा और द्रव्य तथा प्रदेश की अपेक्षा कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? . उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा हैं, उनसे संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा संख्यात गुणा हैं उनसे असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा असंख्यात गुणा हैं। प्रदेशों की अपेक्षा - सबसे थोड़े एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल अप्रदेश की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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