Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 399
________________ ३८६ ************************************** प्रज्ञापना सूत्र ****************************************** चाहिये। इसी प्रकार शेष वर्ण, गंध और रस के विषय में कहना चाहिये। स्पर्श में कर्कश, मृदु, गुरु और लघु स्पर्शो के विषय में जिस प्रकार एक प्रदेशावगाढ आदि का अल्पबहुत्व कहा गया है उसी प्रकार कहना चाहिये। शेष स्पर्शों के विषय में भी जैसा वर्णों का कहा है उसी प्रकार कह देना चाहिये। ____ नोट - यहाँ पर भाव की अल्प बहुत्व में वर्णादि बीस बोलों की मुख्यता से पुद्गलों की अल्प बहुत्व कही गई है। अत: एक गुण काले परमाणु यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्धों को भाव की अपेक्षा एक प्रदेशी या अप्रदेशी कहा गया है इसी प्रकार दो गुण काले यावत् अनन्त गुण काले परमाणु से अनन्त प्रदेशी स्कन्धों के भाव की अपेक्षा दो प्रदेश यावत् अनन्त प्रदेश समय लेना चाहिए अर्थात् जितने गुण वर्णादि है उतने ही प्रदेश समझने चाहिये। . विवेचन - प्रस्तुत सूत्रों में पुद्गलों की द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा ६९ अल्पबहुत्व इस प्रकार कहा गया है - द्रव्य के ३ अल्पबहुत्व-परमाणु पुद्गल, संख्यात प्रदेशी, असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी स्कंध की द्रव्य की अपेक्षा अल्पबहुत्व १. सबसे थोड़े अनन्त प्रदेशी स्कंध द्रव्य की अपेक्षा। २. परमाणु पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा अनन्त गुणा। ३. संख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्य की अपेक्षा संख्यात गुणा। ४. असंख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यात गुणा। उक्त चारों के प्रदेश की अपेक्षा अल्पबहुत्व१. सबसे थोड़े अनन्त प्रदेशी स्कंध प्रदेश की अपेक्षा। २. परमाणु पुद्गल अप्रदेश की अपेक्षा अनन्त गुणा। ३. संख्यात प्रदेशी स्कंध प्रदेश की अपेक्षा संख्यात गुणा। ४. असंख्यात प्रदेशी स्कंध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यात गुणा। उक्त चारों का द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा सम्मिलित अल्पबहुत्व१. सबसे थोड़े अनन्त प्रदेशी स्कंध द्रव्य की अपेक्षा। २. अनन्त प्रदेशी स्कंध प्रदेश की अपेक्षा अनन्त गुणा। ३. परमाणु पुद्गल द्रव्य और अप्रदेश की अपेक्षा अनन्त गुणा। ४. संख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्य की अपेक्षा संख्यात गुणा। ५. संख्यात प्रदेशी स्कंध प्रदेश की अपेक्षा संख्यात गुणा। ६. असंख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यात गुणा। ७. असंख्यात प्रदेशी स्कंध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यात गुणा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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