Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 404
________________ तीसरा बहुवक्तव्यता पद - महादंडक द्वार ************************************************************************4442 26 पज्जत्तगा असंखिजगुणा ५४, बायर पुढवीकाइया पज्जत्तगा असंखिजगुणा ५५, बायर आउकाइया पज्जत्तगा असंखिज्जगुणा ५६, बायर वाउकाइया पज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा ५७, बायर तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखिज गुणा ५८, पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखिजगुणा ५९, बायर णिओया अपज्जत्तगा असंखिजगुणा ६०, बायर पुढवीकाइया अपज्जत्तगा असंखिजगुणा ६१, बायर आउकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्जगुणा ६२, बायर वाउकाइया अपज्जत्तगा असंखिजगुणा ६३, सुहुम तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखिजगुणा ६४, सुहुम पुढवीकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ६५, सुहम आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ६६, सुहुम वाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ६७, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखिजगुणा ६८, सुहुमपुढवीकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया ६९, सुहुम आउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया ७०, सुहमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया ७१, सुहमणिओया अपजत्तगा असंखिजगुणा ७२, सुहुम णिओया पजत्तगा संखिजगुणा ७३, अभव सिद्धिया अणंतगुणा ७४, परिवडिय सम्महिट्ठी अणंतगुणा ७५, सिद्धा अणंतगुणा ७६, बायर वणस्सइकाइया पजत्तगा अणंतगुणा ७७, बायर पजत्तगा विसेसाहिया ७८, बायर वणस्सइकाइया अपजत्तगा असंखिजगुणा ७९, बायर अपज्जत्तगा विसेसाहिया ८०, . बायरा विसेसाहिया ८१, सुहुम वणस्सइकाइया अपजत्तगा असंखिजगुणा ८२, सुहुम अपजत्तगा विसेसाहिया ८३, सुहुम वणस्सइकाइया पजत्तगा संखजगुणा ८४, सुहुम पजत्तगा विसेसाहिया ८५, सुहुमा विसेसाहिया ८६, भवसिद्धिया विसेसाहिया ८७, णिओयजीवा विसेसाहिया ८८, वणस्सइजीवा विसेस हिया ८९, एगिंदिया विसेसाहिया ९०, तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया ९१, मिच्छादिट्ठी वसेसाहिया ९२, अविरया विसेसाहिया ९३, सकसाई विसेसाहिया ९४, छउमत्था वसेसाहिया ९५, सजोगी विसेसाहिया ९६, संसारत्था विसेसाहिया ९७, सव्वजीवा विसेसाहिया ९८॥२७ दारं ॥२१७॥ । पण्णवणाए भगवईए तइयं अप्पाबहुयपयं समत्तं॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org


Page Navigation
1 ... 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414