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प्रज्ञापना सूत्र
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भी विशेषाधिक हैं। ८. उनसे उत्तर दिशा में विशेषाधिक हैं क्योंकि मानस सरोवर में सात बोल के जीव अधिक हैं उन जीवों के आश्रित तैजस कार्मण वर्गणा के पुद्गल द्रव्य भी बहुत हैं अतः विशेषाधिक हैं ।
टीका में ऊर्ध्व दिशा में काल द्रव्य मानने हेतु मेरु पर्वत में ५०० योजन का स्फटिक काण्ड माना है। आगम में तो ‘ऊर्ध्वदिशा में काल द्रव्य है' इतना ही उल्लेख मिलता है। अतः प्रज्ञापना टीकाकार के पास इस सम्बन्ध में कोई प्राचीन परम्परा रही होगी, ऐसी संभावना है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के चौथे वक्षस्कार की टीका में मेरु पर्वत के वर्णन में कोई निश्चित माप नहीं बताते हुए 'क्वचित् अंक बहुलात्......' ऐसा ही बताया है अतः स्फटिक काण्ड का निश्चित नहीं कह सकते हैं परन्तु होने में कोई आगमिक बाधा नहीं है । अतः मान भी सकते हैं। आठ रुचक प्रदेश तो अप्रकाशित ही होते हैं किन्तु ऊपर के चार रुचक प्रदेशों की सीध में आई हुई ऊर्ध्वदिशा में चन्द्र सूर्य का प्रकाश होता है इस अपेक्षा से ऊर्ध्व दिशा में काल द्रव्य माना गया है।
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एएसि णं भंते! परमाणुपोग्गलाणं संखिज्जपएसियाणं असंखिज्जपएसियाणं अणतपएसियाणं च खंधाणं दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा अणतपएसिया खंधा दव्वट्टयाए, परमाणुपोग्गला दव्वट्टयाए अनंतगुणा, संखिज्जपएसिया खंधा दव्वट्टयाए संखिज्जगुणा, असंखिज्जपएसिया खंधा दव्वट्टयाए असंखिज्जगुणा । परसट्टयाए - सव्वत्थोवा अणतपएसिया खंधा परसट्टयाए, परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए अनंतगुणा, संखिज्जपएसिया खंधा पसट्टयाए संखिज्जगुणा, असंखिज्जपएसिया खंधा पएसट्टयाए असंखिज्जगुणा । दव्वट्ठपएसट्टयाएसव्वत्थोवा अणतपएसिया खंधा दव्वट्टयाए, ते चेव पएसट्टयाए अनंतगुणा, परमाणुपोग्गला दव्वट्टअप सट्टयाए अनंतगुणा, संखिज्जपएसिया खंधा दव्वट्टयाए संखिज्जगुणा, ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखिज्जपएसिया खंधा दव्वट्टयाए असंखिज्जगुणा, ते चेव पएसट्टयाए असंखिज्जगुणा ॥ २१३ ॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन परमाणु पुद्गलों, संख्यात प्रदेशिक, असंख्यात प्रदेशिक और अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों में द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेश की अपेक्षा से और द्रव्य तथा प्रदेश की अपेक्षा से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्यं या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े द्रव्य की अपेक्षा से अनन्त प्रदेशिक स्कन्ध हैं, उनसे परमाणु पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा अनन्त गुणा हैं, उनसे संख्यात प्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा संख्यात गुणा
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