Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - काय द्वार
३०३
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एएसि णं भंते! सुहुम तेउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? __गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुम तेउकाइया अपजत्तगा, सुहुम तेउकाइया पजत्तगा संखिज्ज गुणा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! पर्याप्तक और अपर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोडे अपर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिक हैं उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिक संख्यात गुणा हैं।
एएसि णं भंते! सुहम वाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अपण वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा सुहम वाउकाइया अपज्जत्तगा, सुहुम वाउकाइया पजत्तगा .. संखिज्जगुणा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक हैं उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक संख्यात गुणा हैं।
एएसि णं भंते! सुहम वणस्सइकाइयाणं पजत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? ___गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुम वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा, सुहुम वणस्सइकाइया पजत्तगा संखिज्ज गुणा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक सूक्ष्म वनस्पतिकायिक हैं, उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म वनस्पतिकायिक संख्यात गुणा हैं। ____ एएसि णं भंते! सुहुम णिओयाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्या वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुम णिओया अपजत्तगा, सुहुम णिओया पजत्तगा संखिज गुणा॥१६॥
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