Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 387
________________ ३७४ * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * Jain Education International प्रज्ञापना सूत्र २५. पच्चीसवां बन्ध द्वार एएसि णं भंते! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अबंधगाणं पज्जत्तगाणं अज्जत्तगाणं सुत्ताणं जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सायावेयगाणं असायावेयगाणं इंदिओवउत्ताणं (इंदिय उवउत्ताणं ) णोइंदिओवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? . गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा आउयस्स कम्मस्स बंधगा १, अपज्जत्तगा संखिज्जगुणा २, सुत्ता संखिज्जगुणा ३, समोहया संखिज्जगुणा ४, सायावेयगा संखिज्जगुणा ५, इंदिओवउत्ता संखिज्जगुणा ६, अणागारोवउत्ता संखिज्जगुणा ७, सागारोवउत्ता संखिज्जगुणा ८, णोइंदिओवउत्ता विसेसाहिया ९, असायावेयगा विसेसाहिया १०, असमोहया विसेसाहिया ११, जागरा विसेसाहिया १२, पज्जत्तगा विसेसाहिया १३, आउयस्स कम्मस्स अबंधगा विसेसाहिया १४ ।। २५ दारं ।। २११ ॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन आयुष्य कर्म के बन्धक, अबन्धक, पर्याप्तक, अपर्याप्तक सुप्त, जागृत, समवहत - समुद्घात को प्राप्त, असमवहत समुद्घात नहीं करने वाला, सातावेदक, असातावेदक, इन्द्रियोपयुक्त - इन्द्रिय के उपयोग वाले, नोइन्द्रियोपयुक्त - नोइन्द्रिय के उपयोग वाले, साकार उपयोग वाले और अनाकार उपयोग वाले जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? - -- उत्तर - हे गौतम! १. सबसे थोड़े जीव आयुष्य कर्म के बंधक हैं २. उनसे अपर्याप्तक जीव संख्यातगुणा हैं ३. उनसे सुप्त - सोये हुए जीव संख्यातगुणा हैं ४. उनसे समवहत-समुद्घात करने वाले जीव संख्यातगुणा हैं ५. उनसे सातावेदक - साता वेदनीय का अनुभव करने वाले जीव संख्यातगुणा हैं ६ . उनसे इन्द्रियोपयुक्त - इन्द्रिय के उपयोग वाले जीव संख्यातगुणा हैं ७. उनसे अनाकार उपयोग वाले जीव संख्यातगुणा हैं ८. उनसे साकार उपयोग वाले जीव संख्यातगुणा हैं ९. उनसे नोइन्द्रियोपयुक्तनोइन्द्रिय (मन) के उपयोग वाले जीव विशेषाधिक हैं १०. उनसे असातावेदक-असातावेदनीय कर्म का अनुभव करने वाले जीव विशेषाधिक हैं ११. उनसे असमवहत समुद्घात नहीं करने वाले जीव विशेषाधिक हैं १२. उनसे जागृत जीव विशेषाधिक हैं १३. उनसे पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं और १४. उनसे आयुष्य कर्म के अबंधक जीव विशेषाधिक हैं। विवेचन प्रश्न- बन्ध किसे कहते हैं ? उत्तर - बन्धनं बन्धः । सकषायत्वात् जीवः कर्मणो योग्यान् पुद्गलान् आदत्ते यत् स बन्धः । * * * * हैं * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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