Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
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गुणा हैं १३. उनसे पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक अनंत गुणा हैं १४. उनसे पर्याप्तक बादर जीव विशेषाधिक हैं १५. उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं और १६. उनसे भी सूक्ष्म पर्याप्तक विशेषाधिक हैं।
_ विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में सूक्ष्म आदि पर्याप्तकों का तीसरा अल्पबहुत्व कहा गया है जो इस प्रकार है - सबसे थोड़े बादर तेजस्कायिक पर्याप्तक हैं, उनसे बादर त्रसकायिक, बादर प्रत्येक वनस्पतिकायिक, बादर निगोद, बादर पृथ्वीकायिक, बादर अप्कायिक और बादर वायुकायिक पर्याप्तक उत्तरोत्तर असंख्यात गुणा हैं। यहाँ बादर के पांच सूत्रों में जो तीसरा पर्याप्तक सूत्र है उसके अनुसार समझना चाहिए। पर्याप्तक बादर वायुकायिक से पर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिक असंख्यात गुणा हैं क्योंकि बादर वायुकायिक असंख्यात प्रतर के प्रदेश राशि प्रमाण है और सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्तक असंख्यात लोकाकाश प्रदेश प्रमाण है अतः उनसे असंख्यात गुणा हैं। उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक, सूक्ष्म अप्कायिक और सूक्ष्म वायुकायिक अनुक्रम से उत्तरोत्तर विशेषाधिक हैं। पर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक से पर्याप्तक सूक्ष्म निगोद असंख्यात गुणा हैं क्योंकि वे एक-एक गोले में बहुत होते हैं, उनसे पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक अनन्त गुणा हैं क्योंकि एक-एक बादर निगोद में अनंत जीव होते हैं। उनसे सामान्य बादर पर्याप्तक विशेषाधिक हैं क्योंकि पर्याप्तक बादर तेजस्कायिक आदि का भी उसमें समावेश होता है। उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं क्योंकि बादर निगोद पर्याप्तक से सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक असंख्यात गुणा है, उनसे सामान्य सूक्ष्म पर्याप्तक विशेषाधिक हैं क्योंकि पर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिक आदि का भी उनमें समावेश होता है। इस प्रकार पर्याप्तक की अपेक्षा तीसरा अल्प बहुत्व कहा गया है। .
एएसि णं भंते! सुहुमाणं बायराणं च पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा बायरा पजत्तगा, बायरा अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा, सुहम अपजत्तगा असंखिज गुणा, सुहुम पजत्तगा संखिज गुणा॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन सूक्ष्म और बादर जीवों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े पर्याप्तक बादर जीव हैं और उनसे अपर्याप्तक बादर जीव असंख्यात गुणा हैं, उनसे अपर्याप्तक सूक्ष्म जीव असंख्यात गुणा हैं और उनसे सूक्ष्म पर्याप्तक संख्यात गुणा हैं।
एएसि णं भंते! सुहम पुढवीकाइयाणं बायर पुढवीकाइयाणं च पजत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
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