Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - काय द्वार
३१७
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पजत्तगाणं, सुहुम तेउकाइय पजत्तगाणं, सुहुम वाउकाइय पज्जत्तगाणं, सुहुम वणस्सइकाइय पज्जत्तगाणं, सुहुम णिओयपज्जत्तगाणं, बायर पजत्तगाणं, बायर पुढवीकाइय पजत्तगाणं बायर आउकाइय पज्जत्तगाणं, बायर तेउकाइय पज्जत्तगाणं, बायर वाउकाइय पजत्तगाणं, बायर वणस्सइकाइय पजत्तगाणं, पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइय पजत्तगाणं, बायर णिओय पजत्तगाणं, बायर तसकाइय पजत्तगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा बायर तेउकाइया पजत्तगा, बायर तसकाइया पजत्तगा असंखिज गुणा, पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखिज गुणा, बायर णिओया पज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा, बायर पुढवीकाइया पज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा, बायर आउकाइया पज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा, बायर वाउकाइया पज्जत्तगा असंखिज । गुणा, सुहुम तेउकाइया पजत्तगा असंखिज गुणा, सुहुम पुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुम आउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुम वाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुम णिओया पजत्तगा असंखिज गुणा, बायर वणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंत गुणा, बायर पजत्तगा विसेसाहिया, सुहुम वणस्सइकाइया पजत्तगा असंखिज गुणा, सुहुम पजत्तगा विसेसाहिया॥१६९॥ ___भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन पर्याप्तक १. सूक्ष्म जीवों २. सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों ३. सूक्ष्म अप्कायिकों ४. सूक्ष्म तेजस्कायिकों ५. सूक्ष्म वायुकायिकों ६. सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों ७. सूक्ष्म निगोदों ८. बादर जीवों ९. बादर पृथ्वीकायिकों १०. बादर अप्कायिकों ११. बादर तेजस्कायिकों १२. बादर वायुकायिकों १३. बादर वनस्पतिकायिकों १४. प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिकों १५. बादर निगोदों १६. बादर त्रसकायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम! १. सबसे थोड़े पर्याप्तक बादर तेजस्कायिक हैं २. उनसे पर्याप्तक बादर त्रसकायिक असंख्यात गुणा हैं ३. उनसे पर्याप्तक प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं ४. उनसे पर्याप्तक बादर निगोद असंख्यात गुणा हैं ५. उनसे पर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिक असंख्यात गुणा हैं ६. उनसे पर्याप्तक बादर अप्कायिक असंख्यात गुणा हैं ७. उनसे पर्याप्तक बादर वायुकायिक असंख्यात गुणा हैं ८. उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म तेजस्कायिक असंख्यात गुणा हैं ९. उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं १०. उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म अप्कायिक विशेषाधिक हैं ११. उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक विशेषाधिक हैं १२. उनसे पर्याप्तक सूक्ष्म निगोद असंख्यात
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