Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 324
________________ तीसरा बहुवक्तव्यता पद - कार्य द्वार एएसि णं भंते! बायर वणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बायर वणस्सइकाइया पज्जत्तगा, बायर वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा । प्रश्न - हे भगवन् ! इन पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक और अपर्याप्तक बादर भावार्थ वनस्पतिकायिक में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक हैं, उनसे अपर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं। एएसि णं भंते! पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कटरे करेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइया पज्जत्तगा, पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा । - भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! पर्याप्तक प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक और अपर्याप्तक प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े पर्याप्तक प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक हैं, उनसे अपर्याप्तक प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं। एएसि णं भंते! बायर णिओयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बायर णिओया पज्जत्तगा, बायर णिओया अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा । प्रश्न- हे भगवन् ! पर्याप्तक बादर निगोद और अपर्याप्तक बादर निगोद में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? i उत्तर हे गौतम! सबसे थोड़े पर्याप्तक बादर निगोद हैं, उनसे अपर्याप्तक बादर निगोद असंख्यात गुणा हैं। एएसि णं भंते! बायर तसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बायर तसकाइया पज्जत्तगा, बायर तसकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्ज गुणा ॥ १६५ ॥ Jain Education International - ३११ 王谢谢谢常常打 - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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