Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - काय द्वार
२९७
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उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े पर्याप्तक त्रसकायिक हैं, उनसे पर्याप्तक तेजस्कायिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे पर्याप्तक पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, उनसे पर्याप्तक अप्कायिक विशेषाधिक हैं, उनसे पर्याप्तक वायुकायिक विशेषाधिक हैं, उनसे पर्याप्तक वनस्पतिकायिक अनंत गुणा हैं उनसे भी पर्याप्तक सकायिक विशेषाधिक हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में पर्याप्तक सकायिक आदि जीवों का अल्पबहुत्व कहा गया है।
एएसि णं भंते! सकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा सकाइया अपजत्तगा, सकाइया पजत्तगा संखिज गुणा॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक सकायिक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े सकायिक अपर्याप्तक हैं, उनसे सकायिक पर्याप्तक संख्यात गुणा हैं।
एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं पजत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? ___ गोयमा! सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपजत्तगा, पुढविकाइया पजत्तगा संखिज गुणा॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! पर्याप्तक और अपर्याप्तक पृथ्वीकायिक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? ___उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक पृथ्वीकायिक हैं, उनसे पर्याप्तक पृथ्वीकायिक संख्यात 'गुणा हैं।
एएसि णं भंते! आउकाइयाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा आउकाइया अपजत्तगा, आउकाइया पजत्तगा संखिज
गुणा॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक अप्कायिक में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक अप्कायिक हैं और उनसे पर्याप्तक अप्कायिक संख्यात गुणा हैं।
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