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तीसरा बहुवक्तव्यता पद - दिशा द्वार
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भावार्थ - दिशाओं की अपेक्षा से सबसे थोड़े बेइन्द्रिय जीव पश्चिम दिशा में हैं उनसे पूर्व में विशेषाधिक, उनसे दक्षिण में विशेषाधिक और उनसे उत्तर में विशेषाधिक हैं।
दिशाओं की अपेक्षा से सबसे थोड़े तेइन्द्रिय जीव पश्चिम दिशा में, उनसे पूर्व दिशा में विशेषाधिक, उनसे दक्षिण में विशेषाधिक और उनसे उत्तर दिशा में विशेषाधिक हैं।
दिशाओं की अपेक्षा से चउरिन्द्रिय जीव सबसे थोड़े पश्चिम दिशा में, उनसे पूर्व दिशा में विशेषाधिक, उनसे दक्षिण दिशा में विशेषाधिक और उनसे भी उत्तर दिशा में विशेषाधिक हैं।
विवेचन - जहां पानी कम होता है वहां शंख आदि बेइन्द्रिय जीव कम होते हैं और जहां पानी अधिक होता है वहां शंख आदि जीव अधिक होते हैं। पश्चिम दिशा में गौतम द्वीप होने से वहां जल कम है। अत: सबसे थोड़े बेइन्द्रिय जीव पश्चिम दिशा में कहे गये हैं। उनसे पूर्व दिशा में विशेषाधिक हैं क्योंकि वहां गौतम द्वीप नहीं होने से जल की अधिकता है। इसलिये शंख आदि बेइन्द्रिय जीवों की प्रचुरता है उससे भी दक्षिण दिशा में बेइन्द्रिय जीव विशेषाधिक कहे गये हैं क्योंकि वहां चन्द्र और सूर्य के द्वीप नहीं होने से जल की प्रचुरता है इस कारण शंख आदि अधिक हैं। उत्तर दिशा में मानस सरोवर होने से जल अत्यधिक है इसलिये वहां बेइन्द्रिय जीव विशेषाधिक कहे गये हैं। बेइन्द्रिय की तरह ही तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय की अल्पबहुत्व भी समझनी चाहिये। . दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा णेरइया पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा रयणप्पभा पुढवी णेरड्या पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा सक्करप्पभा पुढवी णेरड्या पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वालुयप्पभा पुढवी णेरड्या पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा पंकप्पभा पुढवी णेरइया पुरच्छिम पच्चस्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा धूमप्पभा पुढवी जेरइया पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज्ज गुणा।
दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा तमप्पभा पुढवी णेरइया पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखिज्ज गुणा।
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