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प्रथम प्रज्ञापना पद - पंचेन्द्रिय जीव प्रज्ञापना
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से किं तं चरित्तारिया? चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - सरागचरित्तारिया य वीयराग-चरित्तारिया य।
से किं तं सरागचरित्तारिया? सरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - सुहुमसंपराय सरागचरित्तारिया य बायरसंपराय सरागचरित्तारिया य।
से किं तं सुहमसंपराय सरागचरित्तारिया? सुहमसंपराय सरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - पढमसमयसुहमसंपराय सरागचरित्तारिया य अपढमसमयसुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य। अहवा चरिम समय सुहुमसंपराय सरागचरित्तारिया य अचरिम समय सुहमसंपराय सरागचरित्तारिया च। अहवा सुहुमसंपराय सरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - संकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य।
से तं सुहमसंपराय सरागचरित्तारिया।
कठिन शब्दार्थ - चरित्तारिया - चारित्र आर्य, संकिलिस्समाणा - संक्लिश्यमान, विसुज्झमाणाविशुद्ध्यमान।
प्रश्न - चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ।
उत्तर - चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - सराग चारित्र आर्य और वीतराग चारित्रार्य।
प्रश्न - सराग चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - सराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - सूक्ष्म संपराय सराग चारित्र आर्य और बादर सम्पराय सराग चारित्र आर्य। ... प्रश्न - सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
.. उत्तर - सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं - प्रथम समय सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य और अप्रथम समय सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य अथवा चरम समय सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य और अचरम समय सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य अथवा सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - संक्लिश्यमान और विशुद्ध्यमान। इस प्रकार सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्र आर्य कहे गये हैं।
से किं तं बायरसंपराय सरागचरित्तारिया? बायरसंपराय-सरागचरित्तारिया दुविहा अण्णत्ता। तंजहा - पढमसमयबायरसंपराय सरागचरित्तारिया य अपढमसमयबायरसंपरायसरागचरित्तारिया य। अहवा चरिम समय बायरसंपराय सरागचरित्तारिया
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