Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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११८
प्रज्ञापना सूत्र
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... से किं तं मिलक्खू? मिलक्खू अणेग विहा पण्णत्ता। तंजहा - सगा जवणा चिलाय-सबर-बब्बर कायमुरुंडोड-भडग-णिण्णग-पक्कणिया कुलक्ख-गोंडसिंहल-पारस-गोधा-कोंच-अंबडइ दमिल-चिल्लल-पुलिंद-हारोस-दोब-वोक्काणगंधाहारग-पहलिय-अज्झल-रोमपास-पउसा-मलयाय-बंधु-याय-सूयलि, कोंकणगमेयपल्हव-मालव-मग्गर (गग्गर) आभासिय,णक्क, चीण, ल्हसिय-खसा खासियणेदूरमोंढ-डोंबिलग-लओस-पओस-कक्केय-अक्खाग-हूण-रोमग-भरु मरुयचिलाय-विसयवासी य एवमाई। से तं मिलक्खू॥६४॥
भावार्थ - प्रश्न - म्लेच्छ मनुष्य कितने प्रकार के कहे हैं ?
उत्तर - म्लेच्छ मनुष्य अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - शत, यवन, फिरात, शबर, बर्बर कायमुरुडोड़, भडक, निष्णक, पक्कणिक, कुलाक्ष, गोंड, सिंहल, पारस, गोध, कौंच अम्बडक, इदमिल, चिल्लक, पुलिन्द हारोस, दोच (डोब), वोक्काण, गंधाहारक, बहलिक, अज्झल रोमपास (रामणस), प्रदूष, मलयाय, बंधुक, सूयली, कोंकणक, मद, पल्हव, मालव, मग्गर आभासिक, नक्क, चीना, ल्हासिक, खस, घासिक, नेडूर, मोंढ, डोंबिलक, लओस, बकुश कैकय अवख्यक, हूण, रोमक, समक, चिलात, विसयवासी आदि। इस प्रकार म्लेच्छ अनेक प्रकार के कहे गये हैं।
विवेचन - प्रश्न - म्लेच्छ किसे कहते हैं?
उत्तर - जिनके वचन (भाषा) और आचार अव्यक्त-अस्पष्ट हों अर्थात् जिनका व्यवहार शिष्टजन सम्मत न हो, उन्हें 'म्लेच्छ' कहते हैं।
से किं तं आरिया? आरिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा - इड्डिपत्तारिया य अणिड्डिपत्तारिया य।
से किं तं इडिपत्तारिया? इड्डिपत्तारिया छव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - १. अरहंता २. चक्कवट्टी ३. बलदेवा ४. वासुदेवा, ५. चारणा ६. विजाहरा। से तं इड्विपत्तारिया।
से किं तं अणिविपत्तारिया? अणिड्डिपत्तारिया णव विहा पण्णत्ता। तंजहा - खेत्तारिया, जाइआरिया, कुलारिया, कम्मारिया, सिप्पारिया, भासारिया, णाणारिया, दसणारिया, चरित्तारिया॥६५॥
कठिन शब्दार्थ - इड्डिपत्तारिया - ऋद्धि प्राप्त आर्य, अणिड्डिपत्तारिया - अनृद्धि प्राप्त-ऋद्धि को नहीं प्राप्त आर्य।
भावार्थ- प्रश्न - आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं?
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