Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
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मणिहारी, चूड़ी, कागज, किराणा, अनाज आदि के धन्धे भी कर्म आर्य में समझे जाते हैं। कृषि (खेती) का कर्म महाआरम्भ जनक होने से अनार्य कर्म में समझा जाता है। कर्म आर्य के नामों में अल्प हिंसा वाले धन्धों को ही बताया गया है। कृषि का कर्म तो "फोडी कम्मे" नाम के कर्मादान के अन्तर्गत समझा जाता है।
से किं तं सिप्पारिया? सिप्पारिया अणेग विहा पण्णत्ता। तंजहा - तुण्णागा, तंतुवाया, पट्टागारा देयडा, वरुट्टा, छव्विया, कट्ठपाउयारा, मुंजपाउयारा, छत्तारा, वज्झारा, पोत्थारा, लेप्पारा, चित्तारा, संखारा, दंतारा, भंडारा, जिज्झगारा, सेल्लारा, कोडिगारा, जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं सिप्पारिया॥७०॥
भावार्थ - प्रश्न - शिल्प आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं?
उत्तर - शिल्प आर्य अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - तुन्नाक (रफ्फूगरदर्जी) तंतुवाय (जुलाहा), पट्टकार, दृतिकार (चमडे की मशक बनाने वाले), वरुट्ट (पिंछी बनाने वाले) छर्विक (चटाई आदि बनाने वाले) काष्टपादुकाकार (लकडी की खडाऊ बनाने वाले) मुंज पादुकाकार (मुंज की खडाऊ बनाने वाले) छत्रकार, वज्झार, पुस्तकाकार (पुस्तक बनाने वाले), लेप्यकार, चित्रकार, शंखकार, दंतकार (दांत बनाने वाला) भाण्डकार, जिह्वाकार, सेल्लकार (पत्थर घड़ने वाले), कोटिकार इसी प्रकार के अन्य जितने भी आर्य शिल्पकार हैं उन सबको शिल्प आर्य समझना चाहिये। इस प्रकार शिल्प आर्य कहे गये हैं।
विवेचन - शिल्प आर्य के पट्टकार आदि शब्दों का अर्थ इस प्रकार हैं -
पट्टकार - पट्टवाई का धन्धा करना अर्थात् गहने, माला आदि पिरोने का काम करना। इसमें राखियाँ, चन्दनहार, मुद्राहार, बीजफल आदि के हार भी समाविष्ट हो जाते हैं। इसी धन्धे के पीछे ओसवालों में 'पटवा' गोत्र प्रसिद्ध हुआ है।
दृतिकार - 'दृति' मशक को कहते हैं। कपड़े एवं चमड़े आदि की मशकें बना । पानी के बादलों (झारियों) पर कपड़े चढ़ाने, छींके बनाने आदि का धन्धा भी इसी में समझा जाता है।
वरूट्टा (पिच्छीका) - मयूर पंख आदि की पींछिया बनाने वाले, पुताई आदि की बूर्चिका बनाने वाले, रंगने के ब्रुश आदि बनाने वाला का भी इसी में ग्रहण किया जाता है।
वज्झारा - वज्झकार (वाद्यकार) - वाहनों के अलग-अलग अवयवों को जोड़ने के हुन्नर वाले।
दंतकार - नकली दांत बनाने वाले अथवा दांतों के वलय (चूड़ियाँ), कान कुचरणनी आदि अनेक प्रकार के खिलौने आदि बनाने वाले। सिंग आदि की कंधियों आदि बनाने वालों का भी इसी में ग्रहण होता है।
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