Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
प्रथम प्रज्ञापना पद - पंचेन्द्रिय जीव प्रज्ञापना
************40*40-45
k
i rits
**
*********************edettethritte
n
ded
सेयविया वि य णयरी, केयइअद्धं च आरियं भणियं। अत्थुप्पत्ती जिणाणं, चक्कीणं रामकण्हाणं॥६॥से तं खेत्तारिया॥६६॥ भावार्थ - प्रश्न - क्षेत्र आर्य कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - क्षेत्र आर्य साढे पच्चीस प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. मगध देश और राजगृह नगर २. अंगदेश और चम्पानगरी ३. बंगदेश और ताम्रलिप्ती (वर्तमान में यह पश्चिम बंगाल में तामलूक नाम से प्रसिद्ध नगर संभव है।) ४. कलिंग देश - कंचनपुर नगर ५. काशी देश - वाराणसी नगरी, वर्तमान में इसे बनारस देश व काशी नगरी भी कहा जाता है। ६. कौशलदेश-साकेतपुरनगर, वर्तमान में इसे अयोध्या नगरी भी कहा जाता है। ७. कुरु देश - गजपुरनगर, वर्तमान में इसे दिल्ली कहा जाता है पूर्व में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ भी कहा जाता था। ८. कुशावर्त देश - सौरिकपुर नगर वर्तमान में इसे आगरा कहा जाता है। ९. पंचालदेश - कंपिलपुर नगर १०. जंगल देश - अहिच्छत्रा नगरी ११. सौरठ देश - द्वारिका नगरी, वर्तमान में इसे जूनागढ़ कहा जाता है जहाँ पर गिरनार (रैवतक) पर्वत आया हुआ है। १२. विदेह देश - मिथिला नगरी १३. कौशाम्बी देश - वत्स नगरी, कथा ग्रन्थों में एवं टीकाओं आदि में इसका नाम वत्सदेश और कौशाम्बी नगरी बताया गया है। किन्तु आगम में आये हुए वर्णन से पहले नगर (राजधानी) एवं बाद देश का नाम होने से जैसा यहाँ बताया गया है वैसा ही कहना उचित रहता है। जैसे वाणारसी को आज भी काशी नाम से पुकारा जाता है वैसे कोई राजधानियाँ देश के नाम से भी नामान्तरित हो सकती है। इसी प्रकार १७ वें नम्बर में अच्छा देशवरणा नगरी के विषय में भी समझना चाहिये। १४. शांडिल्य देश- नंदीपुर नगर १५. मलयदेश - भद्दिलपुर नगर १६. वत्स देश - विराटपुर नगर १७. अच्छा देश - वरणा नगरी १८. दशार्ण देश - मृत्तिकावती नगरी १९. चेदि देश - शौक्तिकावती नगरी २०. सिन्धु सौवीर देश - वीतभय नगर, वर्तमान में इसे कराची कहा जाता है। २१. शूरसेन देश - मथुरा नगरी २२. भंग देश - अपापापुरी (पावापुरी) नगरी २३. पुरिवर्त देश - मासा नगरी २४. कुणाल देश - श्रावस्ती नगरी २५. लाटदेश - कोटिवर्ष नगर २५॥ आधा केकय देश - श्वेताम्बिका नगरी। इन आर्य देशों में तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव आदि का जन्म होता है। इसलिए इन्हें आर्य देश कहते हैं।
विवेचन - भरत क्षेत्र में बत्तीस हजार देश हैं। इनमें से साढ़े पच्चीस आर्य देश हैं। शेष ३१९७४॥ देश अनार्य हैं। इन साढे पच्चीस आर्य देशों में रहने वाले क्षेत्र आर्य हैं। आर्य देश और उनकी राजधानी के नाम भावार्थ में दे दिये गये हैं। पहले देश का नाम है और उसके आगे उसकी राजधानी का नाम है। जैसे कि देश का नाम मगध है और राजधानी का नाम राजगृह है। इस प्रकार आगे भी देश और राजधानी का नाम समझना चाहिये।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org