Book Title: Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
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से किं तं गुम्मा? गुम्मा अणेगविहा पण्णत्ता। तंजहा - सेरियए णोमालिय कोरंटय-बंधुजीवग मणोजे। पीईय पाण कणइर (कणयर) कुज्जय तह सिंदुवारे य॥१॥ जाई मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती। वत्थुल कच्छुल (कत्थुल) सेवाल गंठि मगदंतिया चेव॥२॥ . चंपगजाई णवणीइया य कुंदो तहा महाजाई। एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयव्वा ॥३॥ से तं गुम्मा॥३५॥ भावार्थ - प्रश्न - गुल्म कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर - गुल्म अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं -
सेरितक (सैरियक) नवमालती, कोरण्टक, बंधुजीवक, मनोद्य, पीतिक, पान, कनेर, कुर्जर (कुब्जक) सिंदुवार। जाती (जाई) मोगरा, जूही, मल्लिका, वासंती, वस्तुल, कत्थुल, शैवाल, ग्रंथी और मृगदन्तिका। चम्पक, जाति, नवनीतिका, कुंद तथा महाजाति। इस प्रकार के अन्य जो अनेक आकार प्रकार के हैं उन्हें गुल्म समझना चाहिये। इस प्रकार गुल्म कहे गये हैं।
विवेचन - इनमें भी कितनेक गुल्म प्रसिद्ध है और कितनेक अप्रसिद्ध हैं। किसी देश विशेष में प्रसिद्ध भी हो सकते हैं।
से किं तं लयाओ ? लयाओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ। तंजहा - पउम लया णाग लया असोग चंपग लया य चूय लया। वण लय-वासंति लया अइमुत्तय-कुंद-साम लया॥१॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं लयाओ॥३६॥ भावार्थ - प्रश्न - लताएं कितनी प्रकार की कही गयी हैं ?
उत्तर - लताएँ अनेक प्रकार की कही गयी हैं। वे इस प्रकार हैं - पद्म लता, नाग लता, अशोक लता, चम्पक लता और चूत(आम्र-बेलिया आम की लता) लता, वन लता, वासन्ती लता, अतिमुक्तक लता, कुंद लता और श्याम लता। इसी प्रकार की अन्य जितनी भी वनस्पति हैं उन्हें लता समझना चाहिए। इस प्रकार लताएँ कही गयी है।
विवेचन - इनमें भी कितनेक लताएँ प्रसिद्ध हैं और कितनेक अप्रसिद्ध हैं। किसी देश विदेश में प्रसिद्ध भी हो सकते हैं।
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