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१० | मुक्ति का अमर राही : जम्बूकुमार
किया और इसके फलस्वरूप वह जम्बूद्वीप का अधिपति अनाधृत
देव बन गया था। आराध्यदेव की खोज जब धारिणीदेवी कर __ रही थी- उसी समय इस देव के वृत्तान्त का जो सयोग उपस्थित
हो गया था, उसके कारण श्रेष्ठिपत्नी को विश्वास हो गया कि मेरी समस्या का समाधान हो गया। अव मेरे भाग्योदय मे कोई व्यवधान नही । अव हमारे जीवन का अभाव समाप्त होगा, मनोकामना फलित होगी और वात्सल्य तथा ममता की भावना को तोष मिलेगा। धारिणीदेवी ने जम्बूद्वीप के अधिपति अनाधृत देव की आराधना की ! देव से उसके परिवार का प्रगाढ सम्बन्ध रहा है-यह भाव धारिणी की आराधना को प्रगाढतर करता गया । जम्बूद्वीप के स्वामी के नाम पर उसने एक सौ आठ आचाम्ल व्रत किये। आराधिका धारिणीदेवी के मन मे साफल्य के विश्वास का प्रकाश भी उत्तरोत्तर प्रखर होने लगा और उत्फुल्लता का विकास होने लगा।