________________
आत्मा का अस्तित्व : कर्म-अस्तित्व का परिचायक ११
नहीं होती तथा कोई यह भी नहीं कहता कि 'मैं नहीं हूँ।" इस प्रकार के स्व-संवेदनरूप आत्मनिश्चय से आत्मा की सत्ता सिद्ध होती है ।
६. अह-प्रत्यय से भी आत्मा प्रत्यक्ष-'मैंने किया है, मैं करता हूँ, मैं करूँगा', इत्यादि प्रकार से तीनों काल सम्बन्धी अपने विविध कार्यकलापो का जो निर्देश किया जाता है, उसमें 'मैं पन का जो अहंरूप ज्ञान होता है, वह भी आत्मप्रत्यक्ष ही है । यह अहंरूप ज्ञान न तो अनुमानरूप है, और न ही आगमरूप । वह आत्मा का ही प्रत्यक्ष है । घटादि पदार्थों में आत्मा (चेतना) न होने से उन्हें इस प्रकार के अहंपन का आत्म-प्रत्यक्ष नहीं होता। ऐसा अह-प्रत्यय (मैं शब्द का प्रयोगात्मक निश्चय) जीव के बदले शरीर के लिए नहीं होता, अन्यथा मृतदेह में भी अहंप्रत्यय होना चाहिए, वह नहीं होता । अतः अहंपन के ज्ञान का विषय शरीर नहीं, अपितु जीव (आत्मा) ही
___७. संशयरूप विज्ञान से आत्मा प्रत्यक्ष है-इन्द्रभूति गौतम की शंकाओं का. समाधान करते हुए भ. महावीर ने कहा "जीव (आत्मा) है या नहीं?" इस प्रकार का जो संशयरूप विज्ञान है, वही जीव है; क्योंकि जीव विज्ञानरूप है । तुम्हें तुम्हारा संशय तो प्रत्यक्ष ही है, क्योंकि वह विज्ञानरूप है । जो विज्ञानरूप होता है, वह स्व-संवेदन-प्रत्यक्ष से स्व-संवेदित होता ही है, अन्यथा विज्ञान का ज्ञान घटित नहीं हो सकता। इस प्रकार संशयरूप विज्ञान तुम्हें प्रत्यक्ष हो तो उस रूप में जीव (आत्मा) भी प्रत्यक्ष है । प्रत्यक्ष की सिद्धि में अन्य प्रमाण अनावश्यक है ।
८. संशयकर्ता भी जीव ही है-"यदि संशय करने वाला कोई न हो तो 'मैं हूँ या नहीं ?' यह संशय किस को होगा ?" संशय विज्ञानरूप है और विज्ञान एक गुण है, जो गुणी के बिना रह नहीं सकता। अतः संशयरूप विज्ञानगुण का कोई गुणी मानना आवश्यक है । संशय का आधार गुणी (संशयकता) जीव (आत्मा) ही है । संशय करने वाला कोई न कोई चेतन .१ (क) अहमस्मीत्येव दर्शनं स्पष्टादह-प्रत्यय-वेदनात्। ..।
-शास्त्रवार्ता-समुच्चय १/७९, १/८०-८७ (ख) प्रमेय कमल मार्तण्ड, पृ. ११२ (ग) स्याद्वादमंजरी, कारिका १७ (घ) सर्वो ह्यात्माऽस्तित्वं प्रत्येति, न नाऽहमस्मीति'
-ब्रह्मसूत्र शांकरभाष्य १/१/१ २ विशेषावश्यक भाष्य (गणधरवाद) गा. १५५५ (अनुवाद) पृ.८ ३ वही, (गणधरवाद) गा. १५५४ (अनुवाद) पृ. ७
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org