Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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इस प्रकाशन में आपने जो अच्छा अर्थ सहयोग दिया है, एतदर्थ संस्था की ओर से शतशः साधुवाद | आगे के प्रकाशनों में मी संस्था को आपके सहयोग की अपेक्षा सदा बनी रहेगी ।
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श्री माणकचन्दजी सुराना
मूल निवासी - कुत्रे ( राजस्थान ) वर्तमान में मद्रास
श्रीयुत सुरानाजी एक उत्साही नवयुवक है | आपका मुख-मण्डल मदा मृदु-हास्य ने उद्भासित होता रहता है ।
आप वस्त्रों का व्यवसाय करने वाले हैं | आपके पूज्य पिताजी श्रीमंदरलालजी भी अच्छे मधुर स्वभाव वाले हैं ।
तथा उपाध्याय
पूज्य गुरुदेव स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म०ता० श्रीमधुकर मुनिजी के श्रद्धालु भक्तों में आपका भी महत्वपूर्ण स्थान है। इस प्रकाशन में आपने एक अच्छी अर्थ-राशि का योग दान दिया है, एतदर्थ संस्था की ओर से धन्यवाद । संस्था के आगे के प्रकाशनों में भी आपका सहयोग अपेक्षित है ।