Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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: १०: सिंहोदर का गर्वहरण
मार्ग की थकान मिटाने के लिए श्रीराम अनुज लक्ष्मण और पत्नी जानकी के साथ एक सघन छायादार वृक्ष के नीचे बैठे। श्रीराम ने, चारों ओर दृष्टि दौड़ाई और अनुज से कहने लगे
-लक्ष्मण ! यह प्रदेश किसी के भय के कारण उजड़ गया है। देखो, अन्न-जल, फल-फूल आदि से तो यह देश भरपूर है, परन्तु मनुष्य कोई नहीं दिखाई देता। ___ अनुज लक्ष्मण कुछ उत्तर देते इससे पहले ही एक दरिद्र पुरुष आता हुआ दिखाई दिया। राम ने उससे पूछा
-भद्र ! तुम किधर जा रहे हो ? यह देश क्यों उजड़ गया है ? वह पुरुष बताने लगा
-यह अवन्ती नाम का देश है और जहाँ आप लोग बैठे हैं वह है दशांगपुर नगर का वाह्य भाग ! दशांगपुर नगर अवन्ती नरेश सिंहोदर के अधीन है, जो राजधानी अवन्ती में रहता है। दशांगपुर का शासक अवन्ती नरेश के अधीन सामन्त वज्रकर्ण है। ___ एक बार वज्रकर्ण मृगया के लिए वन में गया। वहाँ उसे प्रोतिवर्धन नामक मुनि दिखाई दिये । वज्रकर्ण के हृदय में जिज्ञासा जाग्रत हूई। उसने मुनि के पास जाकर पूछा