Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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:७: पुत्र-जन्म
सीता ने वज्रजंघ के घर रहते हुए अनंगलवण और मदनांकुश दो युगल पुत्रों को जन्म दिया। पुत्र-जन्म पर वज्रजंघ ने हर्षित होकर खूब उत्सव मनाया। __ अनुक्रम से दोनों पुत्र बढ़ने लगे। उनकी वाल-क्रीड़ाओं को देखकर राजा वहुत प्रसन्न होता ।...'
उस समय सिद्धार्थ नाम का एक अणुव्रतधारी श्रावक समस्त कलाओं में निपुण, आगमज्ञान में विचक्षण और आकाशगामी विद्या से सम्पन्न था। एक दिन भिक्षा हेतु वह सीता के घर आया। श्रद्धापूर्वक भात-पानी से प्रतिलाभित करके सीता ने उससे कुशल : समाचार पूछा । सिद्धार्थ ने भी सीता का परिचय जानने की इच्छा प्रगट की तो उसने अपने जन्म से लेकर पुत्र-जन्म का सम्पूर्ण वृत्तान्त सुना दिया। . . . ..
. . सर्व विद्याओं में निपुण सिद्धार्थ ने कहा.--तुम व्यर्थ ही शोक कर रही हो । लवण और अंकुश दोनों पुत्र तुम्हारा मनोरथ अवश्य पूरा कर देंगे। .
रामच
१. इनका वैदिक परम्परा के अनुसार और लोक प्रसिद्ध नाम लव-कुश है।
-सम्पादक