Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar

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Page 545
________________ वासुदेव को मृत्यु | ४८६ सुव्रत तीर्थकर भगवान मुनिसुव्रत की अविच्छिन्न शिष्य परम्परा में थे। राम ने उनसे दीक्षा ग्रहण की । राम के साथ शत्रुघ्न, सुग्रीव, विभीपण, विराध आदि अनेक राजा भी प्रवजित हो गये । साढ़े तीस हजार (३०,५००) रानियों ने भी मुनि व्रत ग्रहण किये और श्रीमती साध्वी के परिवार में रहने लगीं। श्रीराम अव मुनि राम बन गये। -त्रिपष्टि शलाका ७१० --उत्तर पुराण पर्व ६८, श्लोक ६६२-७१३ .

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