Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar

View full book text
Previous | Next

Page 512
________________ सीताजी की अग्नि-परीक्षा लक्ष्मण, सुग्रीव, विभीषण, हनुमान, अंगद आदि ने सम्मिलित । रूप से राम से प्रार्थना की -हे स्वामी ! सती सीता पति और पुत्रों के वियोग से दु:खी होकर प्राण छोड़ दें उससे पहले ही उन्हें यहाँ बुला लिया जाय । . राम ने वहुत सोच-विचार के बाद उत्तर दिया -चाहता तो मैं भी हूँ कि बुला लिया जाय किन्तु लोकापवाद । सबसे बड़ा रोड़ा है । सीता सती है लेकिन जब तक वह अपनो परीक्षा न दे, उसे स्वीकार करना कठिन है। राम की आज्ञा से अयोध्या के बाहर विशाल मण्डप बनाया गया। उसमें राजाओं, नगर-जनों, अमात्यों और विद्याधरों को बैठने के लिए मंच बना दिये गये। सभी लोग उचित स्थानों पर आ बैठे तो राम के आदेश से सुग्रीव पुण्डरीकपुर पहुँचा और सीता को प्रणाम करके निवेदन किया__-हे देवी ! आपके लिए श्रीराम ने पुष्पक विमान भेजा है। इसमें बैठकर अयोध्या पधारिये। -वानरराज ! अभी मैं परित्याग का दुःख तो भूल नहीं सकी हूँ फिर दूसरा नया दुःख पाने के लिए अयोध्या कैसे जाऊँ ? -सीता ने विरक्ति से उत्तर दिया।

Loading...

Page Navigation
1 ... 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557