Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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:४: सप्तर्षियों का तपतेज
सुरनन्द, श्रीनन्द, श्रीतिलक, सर्वसुन्दर, जयन्त, चामर और जयमित्र-सातों भाई प्रजापुर के राजा श्रीनन्दन की रानी धारणी के पुत्र थे। जब राजा श्रीनन्दन का आठवाँ पुत्र एक मास का ही था तभी उन्होंने उसका राज्यतिलक करके सातों पुत्रों सहित श्रामणी दीक्षा ले ली थी। राजा श्रीनन्दन तो अविनाशी सुख में जा विराजे और उनके सातों पुत्र घोर तपस्या के फलस्वरूप जंघाचारण ऋद्धि के धारी हो गये। ___ सातों महर्षि एक बार विहार करते-करते मथुरापुरी में आ पहुँचे । तभी वर्षाकाल (बरसात के चार महीने) प्रारम्भ हो गया। मुनियों ने नगर के समीप एक गिरिकन्दरा में चातुर्मास व्यतीत करने का निश्चय किया । आकाश मार्ग से उड़कर वे अपने छट्ठम-अट्ठम आदि अनशनों का पारणा करते और पुनः कन्दरा में आकर ध्यानलीन हो जाते।
उनके तपोतेज से चमरेन्द्र कृत उपद्रव शान्त हो गये । मथुरा को प्रजा ने सुख-सन्तोष की साँस ली।
एक समय वे महर्षि पारणे के निमित्त अयोध्यापुरी गये । वहाँ वे सेठ अर्हद्दत्त के घर भिक्षा के लिए पहुँचे । उनकी अवज्ञापूर्वक