Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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संपत्नियों का षड्यन्त्र | ४३५
- तुम्हें क्या दुःख हैं ? तुम रो क्यों रहे हो ?
कृतान्तवदन मुख नीचा करके बड़े शोक से बोला- माता ! कैसे बताऊँ मुझे क्या दुख है ?- मुझे अकृत्य करना पड़ रहा है ।
- क्या अकृत्य कर रहे हो तुम ? - सीता ने उत्सुक होकर पूछा ।
- आप राक्षस रावण की लंका में रही थीं । उसकी काली छाया अब भी आपके सिर पर मंडरा रही है। लोकापवाद के कारण श्रीराम ने आपका परित्याग' कर दिया है । - कृतान्तवदन एक साँस में ही जल्दी-जल्दी वोल गया ।
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१ वाल्मीकि रामायण में सीता के परित्याग का एक अन्य कारण दिया हुआ है
लक्ष्मणजी जब सीता को वन में छोड़कर मन्त्री सुमन्त्र के साथ लोट रहे थे तब वे बहुत दुखी थे । वे राम के इस कार्य को अधर्म समझ रहे थे । तव सुमन्त्र कहने लगा कि एक बार आपके पिता राजा दशरथ ने ऋषि दुर्वासा से अपने वंश के बारे में पूछा तब उन्होंने बताया थाराजन् ! तुम्हारा बड़ा पुत्र राम होगा और उसे बहुत दिनों तक स्त्री विछोह सहना पड़ेगा । क्योंकि -
'बहुत पुराने समय की घटना है कि एक बार देवासुर संग्राम में देवताओं से पीड़ित असुरों ने भृगु ऋषि की पत्नी की शरण ली । भृगुपत्नी से अभय पाकर असुर सानन्द रहने लगे हैं, यह अपने चक्र से ऋषि-पत्नी की गरदन काट दी । तव दिया था कि 'विष्णु ! तुमने मेरी स्त्री को मारा। इस कारण तुम्हें भी मानव लोक में जन्म लेकर पत्नी का विछोह सहना पड़ेगा ।'
जानकर विष्णु ने
भृगुऋषि ने शाप
विष्णु ही तुम्हारे पुत्र राम के रूप में जन्म लेंगे और इस शाप के कारण उन्हें पत्नी वियोग सहना पड़ेगा ।