Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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३५८ | जैन कथामाला (राम-कथा) गारुड़ी विद्या और विद्युद्वदना नाम की गदा दी। इसके अतिरिक्त दोनों वीरों को गारुड़, आग्नेय, वायव्य तथा अन्य दूसरे अस्त्र-शस्त्रों तथा दो छत्रों ने सुसज्जित कर दिया ।
दिव्यास्त्रों से सुसज्जित होकर राम-लक्ष्मण दोनों भाई सुग्रीव और भामण्डल के पास आये । गारुड़ी विद्या सम्पन्न उन दोनों को समीप आते जानकर नागपाश स्वयमेव ही विलीन हो गया । सुग्रीव और भामण्डल स्वतन्त्र होकर उठ खड़े हुए।
राम की सेना में जय-जयकार हुआ और राक्षसों को सेना में विषाद व्याप्त हो गया।
उस समय तक सन्ध्याकालीन सूर्य भी अस्ताचल की ओट में जा छिपा।
राम की सेना अपने शिविर में लौट आई और राक्षस सेना अपने शिविर में।
युद्ध वन्द हो गया । दिनभर के कोलाहल से पश्चात मौन-नीरवता छा गई।
-त्रिषष्टि शलाका ७७