Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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.. शत्रुघ्न के पूर्वभव
वासुदेव लक्ष्मण के राज्यतिलक के पश्चात राम ने विभीषण को राक्षस द्वीप, सुग्रीव को वानर द्वीप, हनुमान को श्रीपुर, विराध को पाताल-लंका, नील को ऋअपुर, प्रतिसूर्य को हनुपुर, रत्नजटी को सुरसंगीतपुर और भामण्डल को वैताढय गिरि पर स्थित रथनूपुर का राज्य भार दिया। इनके अतिरिक्त और भी योद्धाओं को उनकी योग्यतानुसार विभिन्न राज्य प्रदान करने के वाद सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न से पूछा
-जो देश तुम्हें पसन्द हो, वही मांग लो। शत्रुघ्न ने उत्तर दिया
-आर्य प्रसन्न हैं तो मुझे मथुरा जाने की आज्ञा दीजिए। . राम ने समझाया
---अनुज ! मथुरा का राजा मधु दुःसाध्य है । उसके पास चमरेन्द्र प्रदत्त एक त्रिशूल है । वह त्रिशूल दूर से हो शत्रु-सेना का हनन करके वापिस उसके पास आ जाता है । इसीलिए मथुरा को छोड़कर किसी और देश की इच्छा करो।
-आर्य ! मैं आपका अनुज हूँ। जव अग्रज लक्ष्मण ने अनेक विद्या-सम्पन्न रावण का वध कर दिया तो क्या मैं मधु को भी परा जित नहीं कर सकूँगा। -शत्रुघ्न ने साग्रह कहा ।