Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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२८८ | जैन कथामाला (राम-कथा)
–हाँ ! इस समय यही उचित है।
माता की आज्ञानुसार सुन्द वहाँ से चल दिया। साथ ही चन्द्रनखा भी। दोनों ने लंका में जाकर शरण ली।
सेनापति के पलायन करते ही सेना शान्त हो गई।
श्रीराम ने लक्ष्मण का वचन पूरा किया। विराध को पाताल लंका के सिंहासन पर आरूढ़ कर दिया। .
जिस महल में अव तक सुन्द रहता था उसमें विराध निवास करने लगा।
राम और लक्ष्मण महल के उस भाग में ठहर गये जहाँ खर का निवास था।
-त्रिषष्टि शलाका ७६
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१ पाताल लंका विजय के सम्बन्ध में वाल्मीकि तथा तुलसीकृत दोनों
रामायण मीन हैं।