Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
View full book text
________________
राम-लक्ष्मण का जन्म | १६७ लंकेश के भय से वे वन-वन भटके थे वही राक्षसराज उन्हें अव मच्छर सा प्रतीत होता था। सत्य है-सुपुत्र पिता की सबसे बड़ी शक्ति होता है। . एक वार रानी कैकेयी ने भी शुभ स्वप्नपूर्वक गर्भ धारण किया __ और भरत क्षेत्र के मुकुट के समान भरत नाम का धर्म धुरन्धर और - वलवान पुत्र प्रसव किया।
जव तीनों रानियाँ मातृत्व के गौरव से विभूषित हो चुकी थीं तो सुप्रभा ही क्यों पीछे रहती? उसने शत्रुओं का मान मर्दन करने वाले शत्रुघ्न नाम के पुत्र को जन्म दिया।
अव राजा दशरथ के राम-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न चार विनीत पुत्र थे।
१ (क) वाल्मीकि रामायण में दशरथ को केवल कोसल देश का राजा ही
माना गया है। इनका राजगृह पर अधिकार नहीं बताया गया। कोसल देश की राजधानी थी अयोध्या और उसके राजा थे महाराज दशरथ ।
___राम-लक्ष्मण भरत-शत्रुघ्न-चारों भाइयों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में निम्न घटना है
(१) राजा दशरथ पुत्र न होने से दुःखी थे। उनके मन्त्री सुमन्त्र ने ऋष्यशृङ्ग ऋपि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी। पुत्रेष्टि यज्ञ राजा ने किया । तब यज्ञाग्नि ने एक तेजस्वी पुरुष खीर का पात्र लेकर निकला। वह खोर राजा ने अपनी रानियों-कौशल्या को आधी, बची हुई में से आधी सुमित्रा को दी। दोनों को देने के बाद बची हुई में से आधी कैकयी को और आधी पुनः सुमित्रा को ही दे दी। तीनों रानियों (कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी) ने वह खीर प्रसन्नतापूर्वक उदरस्थ कर ली।