Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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१८४ | जैन कथामाला (राम-कथा) जनक को वैसा ही दुर्वल समझा जैसे कि वे पहले थे। म्लेच्छों ने हथियार लेकर सेना पर आक्रमण कर दिया और राम को मारने के
- इसके पश्चात वसन्तऋतु में राजा दशरथ ने अन्य राजाओं की
सात कन्याओं के साथ राम का और पृथिवीदेवी आदि सोलह राजकन्याओं से लक्ष्मण का विवाह कर दिया। -पर्व ६८, श्लोक ४७-४८ (ख) वाल्मीकि रामायण के अनुसार
(१) सोलह वर्प के राम और लक्ष्मण को मुनि विश्वामित्र अपने यज्ञ की मारीच और सुबाहु से रक्षार्थ ले जाते हैं। मार्ग में ही सरयू किनारे विश्वामित्र ऋषि ने राम को वला और अतिवला विद्याएँ सिद्ध कराई। इन विद्याओं के प्रभाव से राम अविजेय हो गये। -बालकाण्ड
(२) मार्ग में ताटका (ताड़का) वध की प्रेरणा देते हुए विश्वा. मित्र राम से कहते हैं- यहाँ मलद और करुप नामक दो देश हैं। ताटका नाम की
यक्षिणी ने यहाँ उत्पात मचा रखा है। वह सुन्द राक्षस की पत्नी है
और मारीच राक्षस की माता । इसको तुरन्त मार डालो। यह विचार - मत करो कि वह स्त्री है और स्त्री पर क्षत्रिय शस्त्र नहीं उठाते । क्योंकि . पूर्व में विरोचन की पुत्री मंथरा को भी इन्द्र ने मार डाला था।
. .यह सुनकर राम ने धनुष्टंकार की और सामने आने पर ताटका को मार डाला।
-वालकाण्ड ___मुनि विश्वामित्र ने राम को अनेक दिव्यास्त्र दिये। उनमें से राम ने मानवास्त्र की सहायता से मारीच को सौ योजन दूर जल में फेंक
दिया और आग्नेयास्त्र से सुबाहु को मार डाला तथा शेष राक्षसों का - वध कर दिया।
यज्ञ सम्पन्न होने पर विश्वामित्र मार्ग में अहल्या को शाप मुक्त कराते हुए राम-लक्ष्मण को मिथिलापुरी ले पहुंचे। वहाँ धनुप भंग करके राम ने सीता के साथ विवाह किया। (यह धनुप शिवजी का था जो